सत्य खबर जींद (रोहताश भोला) :- हरियाणा के जींद में कोरोना की मार से फूलों की खेती करने वाले किसान कराह उठे हैं…लॉकडाऊन लागू होने के कारण फूलों की कहीं भी कोई डिमांड नहीं रही तो कई फूल उत्पादक किसान ट्रैक्टर चलाकर खुद अपने हाथों से अपने सपनों की खेती को उजाडऩे पर मजबूर हो गए….कोरोना ने इन किसानों को ऐसा दर्द दिया है, जिसे वो आने वाले कई साल तक नहीं भुला पाएंगे।
बता दें कि गांव अहिरका के सुखदेव ने 8 एकड़ और विक्रम ने साढ़े 3 एकड़ जमीन में गेंदे के फूलों की खेती की थी….इसके लिए किसानों ने 50 हजार रूपए ठेके पर जमीन लेकर उसमें गेंदे के फूल लगाए थे….एक एकड़ में गेंदे के फूल लगाने पर करीब 25 से 30 हजार रूपए की राशि खर्च हुई….इन फूलों की डिमांड शादी और नवरात्रों जैसे त्यौहारों पर खूब बढ़ जाती थी…
पिछले 13 साल से फूलों की खेती करते आ रहे इन किसानों ने बताया कि एक एकड़ जमीन में गेंदे के फूल बेचने से उन्हें कुल मिलाकर सवा लाख से डेढ़ लाख रूपए तक की आमदनी हो जाती थी…सारा खर्च निकाल कर प्रति एकड़ वो करीब 50 हजार रूपए बचा लेते थे….फूलों की कुछ खपत लोकल स्तर पर हो जाती थी और ज्यादा फूल दिल्ली की गाजीपुर की लावर मंडी में बिक जाते थे…इस साल कोरोना की ऐसी मार पड़ी कि फूलों की डिमांड शून्य पर आ गई…जब वो अपने सपनों की खेती को ट्रैक्टर चलाकर अपने हाथों से उजाड़ रहे थे, तब दिल का सारा दर्द और आर्थिक तबाही का दर्द उनके चेहरे और जुबां पर आ रहा था..
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फिलहाल किसान कोरोना की वजह से पूरी तरह संकट में फंस गए हैं..जिसकी वजह से किसानों को अपनी फूलों की खेती पर ट्रैक्टर चलाने के लिए मजबूर हो ना पड़ा है…वहीं किसानों ने सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है.
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