सत्य खबर, चण्डीगढ़
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सेना में दो साल से बंद भर्ती प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए। संसद में रक्षा मंत्री ने दीपेन्द्र हुड्डा के प्रश्न के उत्तर में बताया कि सेना में लाखों पद ख़ाली पड़े है। इसपर दीपेन्द्र हुड्डा के कहा कि विडम्बना है कि करोड़ों युवा भर्ती की प्रतीक्षा में ओवरऐज हो रहे हैं। सरकार कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते 2 साल गंवाने वाले लाखों युवाओं की जायज मांगों की अनदेखी न करे।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि सेना भर्ती के इच्छुक युवाओं की आयु सीमा में छूट, अतिरिक्त प्रयासों की अनुमति समेत सभी जायज मांगें स्वीकार की जाएँ। दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में सरकार से सेना में खाली पड़े पदों की जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बताया कि सेना में गैर अधिकारी वर्ग के 8139 पद और जेसीओ/ओआर के 108685 पद खाली हैं। नौ सेना में अधिकारी वर्ग के 1557 और नौसैनिक के 11709 पद खाली हैं वहीँ वायु सेना में अधिकारी वर्ग में 571 और वायुसैनिकों के 4970 पद खाली पड़े हैं। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि पड़ोसी देशों में जो माहौल है उसे देखते हुए सेना को सशक्त और मजबूत बनाना बहुत जरूरी है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हर साल भारतीय सेना से करीब 50-60 हजार जवान सेवानिवृत्त होते हैं और करीब इतनी ही नयी भर्तियां होती हैं। एक तरफ लाखों बेरोजगार नौकरी मांग रहे, दूसरी तरफ अकेले सेना में ही लाखों पद खाली पड़े हैं। इसका प्रतीक है कि सीकर जैसी जगहों के युवा सेना में भर्ती के लिए दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं और दिल्ली में सेना भर्ती की मांग को लेकर धरना चल रहा है। दो साल से सेना में भर्ती स्थगित होने का नतीजा यह हुआ है कि लाखों छात्र ओवरएज हो गए हैं, साथ ही सेना में खाली पदों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में अब ओवरऐज हो चुके युवाओं को सेना में भर्ती का मौका नहीं मिलेगा, जब तक कि सेना अपने नियमों में कोई छूट न दे।
उन्होंने कहा कि हरियाणा उन राज्यों में से एक हैं जहां सबसे ज्यादा पूर्व सैनिक और उनके परिवार रहते हैं। सेना का हर दसवां जवान हरियाणा राज्य से है। ऐसे में सेना की खुली भर्ती आयोजित न होने से राज्य के युवाओं में भारी निराशा और हताशा है। दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि सरकार लगातार भर्तियों की संख्या घटाती जा रही है। इस मुद्दे पर राज्यसभा में दीपेन्द्र हुड्डा के सवाल पर सरकार की तरफ से स्वीकार किया गया है कि 2021-21 और 2021-22 के दौरान सेना में कोरोना महामारी के चलते भर्ती रैलियां नहीं हो सकीं। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि संसद में सरकार के जवाब से स्पष्ट है कि पिछले 5 साल में भर्ती के लिए हुई रैलियों की संख्या बताती है कि सेना में भर्ती धीरे धीरे कम हो रही है। सरकार ने संसद में दिए अपने जवाब में बताया कि 2017-18 – 106 रैलियाँ हुई, 2018-19 – 92 रैलियाँ, 2019-20 – 95 रैलियाँ, 2020-21 – 47 रैलियाँ और 2021-22 – सिर्फ 04 रैलियाँ ही हुई हैं। सरकार रैलियां न करने के पीछे कोविड को कारण बता रही है। जबकि, कोरोना के बाद पूरा देश खुल गया सिर्फ सेना में भर्ती बंद है।
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