सत्सयखबर, सफीदों,सत्यदेव शर्मा,
कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सरकार से लेकर आम आदमी तक अपने स्तर पर जतन किए जा रहे हैं। सब का एक ही उद्देश्य है इस महामारी से खुद को बचाना। इसी प्रयास में प्रशासन के द्वारा सैनिटाइजिंग चेंबर स्थापित करने का काम किया जा रहा है। भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए इन सैनिटाइजिंग चेंबर को स्थापित किया जा रहा है। हरियाणा में भी विशेष तौर पर सब्जी मंडी ,अनाज मंडी ,नागरिक अस्पताल के अलावा सरकारी अधिकारियों के कार्यालयों पर भी ऐसे सैनिटाइजिंग चेंबर स्थापित करने का काम तेज गति से चल रहा है।
सरकार और प्रशासन द्वारा इन चेम्बर के निर्माण के पीछे निसंदेह संक्रमण रोकने की कवायद है लेकिन यही कवायद लोगों के लिए मुसीबत बन सकती है। दरअसल इन सैनिटाइजिंग चेंबर में हाइपोक्लोराइट नामक केमिकल का प्रयोग किया जाता है। डॉक्टर बताते हैं कि इस केमिकल के प्रयोग से मानव शरीर पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ता है। इस केमिकल के प्लस में आने से मानव की आंखों के अलावा किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में इस केमिकल को मानव शरीर पर सीधा प्रयोग नहीं किया जा सकता।
चेन्नई में सरकार ने हटाये सैनिटाइजिंग चेंबर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चेन्नई में सरकार द्वारा स्थापित किए गए इस प्रकार के सैनिटाइजिंग चेंबर को हटाने के आदेश कर दिए गए हैं। चेन्नई में सरकार द्वारा हर सरकारी संस्थान के सामने और विशेष तौर पर नागरिक अस्पतालो पर इस प्रकार के चेंबर स्थापित किए गए थे। चेंबर को स्थापित करने का उद्देश्य लोगों को संक्रमण से बचाना था। बाद में जब अध्ययन किया गया तो हाइपोक्लोराइट केमिकल का मानव शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों का पता चला।
उत्तर प्रदेश में भी इसके प्रयोग से मचा था हंगामा
लोक डाउन के बाद दूसरे राज्यों में मजदूरी करने वाले मजदूर जब उत्तर प्रदेश में वापस गए थे तो उनके ऊपर इसी केमिकल का सप्रे कर दिया था जिसके बाद वहां पर बड़ा हंगामा हुआ था। जिसके बाद मजदूरों पर सप्रे करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की बात भी सामने आई थी।
हाइपोक्लोराइट केमिकल का आखिर प्रयोग क्या होता है
हाइपोक्लोराइट केमिकल का प्रयोग कीटाणु नाश करने के लिए किया जाता है। ज्यादातर इसका प्रयोग स्विमिंग पूल की सफाई में किया जाता है। इसके अलावा बंद कमरों तथा सामान को रोगाणु नाशक करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इस केमिकल के प्रयोग के कई घंटों तक उस क्षेत्र में कीटाणु नहीं पनप पाते। ऐसे में कोरोना वायरस को रोकने के लिए सरकार द्वारा सड़कों और मकानों को सैनिटाइज करने के लिए इसका प्रयोग किया गया। लेकिन अब इसके प्रयोग को सैनिटाइजिंग चेंबर में किया जा रहा है जिसके दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।
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