सत्यखबर, जाखल, दीपक
मनरेगा के तहत कार्यो के आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए जहां हरियाणा सरकार अत्यंत गंभीर है। सरकार के दिशा निर्देश अनुसार काम पाने के लिए मजदूरों को न तो विभागों के चक्कर काटने पड़ेंगे और न ही किसी की जी हुजूरी करनी पड़ेगी। एसएमएस या व्हाट्सएप संदेश भेजकर कोई भी मनरेगा के तहत काम की मांग कर सकता है । लेकिन जाखल खंड में इसके बिल्कुल विपरीत हो रहा है।
जाखल क्षेत्र में मनरेगा योजना के कार्यों में चल रही धांधली थमने का नाम ही नहीं ले रही है। जिससे एक ओर इस योजना का पूरा लाभ नहीं मिलने से श्रमिकों में आक्रोश है। वहीं मनरेगा से संबंधित कर्मचारियों द्वारा हर वर्ष सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। इसके लिए कभी जिला अधिकारियों ने जाखड़ खंड में हो रही धांधली का निरीक्षण नहीं किया और ना ही मनरेगा कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए कोई ठोस सिस्टम बनाया। जिस कारण जाखड़ क्षेत्र में धांधली नहीं रुक पा रही है और ना ही धांधली करनेवालों पर कोई असर होता दिखाई दे रहा है।
जी हजूरिया करने वालों को मिलता है काम
खंड जाखल के गांव चांदपुरा मनरेगा मेट रामचंद्र ने बताया की जब भी वह काम लेने जाते हैं मनरेगा कंप्यूटर ऑपरेटर अंकुश शर्मा मनमानी करते है। लंबे समय से जानबूझकर ईर्ष्या द्वेष भाव से हरासमेंट परेशान करते रहे जाखल खंड में उसके कहे अनुसार किस मेट को काम देना है किसको काम नहीं देना इसके लिए पहले एबीपीओ संदीप जांगड़ा से बात करते हैं। फिर बोलते हैं कि आप एबीपीओ से बात कर लीजिए लेकिन एबीपीओ या तो फोन नहीं उठाते अगर उन को व्हाट्सएप पर मैसेज करते हैं तो वह ब्लॉक कर देते हैं या उनका नंबर ब्लैक लिस्ट में डाल देते हैं। रामचंद्र ने बताया कि जैसे ही मैंने मंगलवार जाखड़ ऑफिस में जाकर मनरेगा का काम मांगा , परंतु वह मुझे डराने धमकाने लगे और मुझे पूरे स्टाफ के सामने बद्दी शब्दावली का प्रयोग करते हुए मुझे जलील किया। रामचंद्र ने बताया कि मैं कभी अधिकारियों की जी हजूरी या नहीं करता और अपने काम को सही तरीके से करवाता हूं उसके बावजूद भी तकनीकी खामियां जानबूझकर गिनाते हैं जबकि मेरे गांव के दूसरे तीन मेट को काम दे दिया गया है।
लगाया जा रहा है लाखो का चुना
खंड जाखल के काफी गांवों के मनरेगा मजदूरों ने नाम न लिखने की सूरत में मनरेगा मजदूरों ने बताया की उच्च अधिकारियों को घूस देने के नाम पर उनके हाजिरी काट ली जाती हैं, अगर उन्होंने 14 दिन कार्य किया है तो उनकी मजदूरी सिर्फ 12 दिन या 13 दिन की ही खाते में आती है। अगर उन्होंने 8 दिन कार्य किया है तो 6 या 7 दिन के पैसे ही खाते में पहुंचते हैं। कई मनरेगा मजदूरों ने तो बताया कि उनके कई जगह के पैसे लंबे समय से रुके पड़े हैं कि उनसे काम तो करवा लिया गया है लेकिन मजदूरी अभी नहीं मिल पाई उसके लिए कभी बैंक की कापी पूरी करवाने को बोला जाता है कभी किसी प्रकार का प्रलोभन दिया जाता है इतने में दूसरा कार्य आज आने पर हम चुप होकर बैठ जाते हैं। वहीं कई मनरेगा मेट ने भी अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जो मनरेगा मेट एबीपीओ के साथ तालमेल बना कर रखता है या उनको जी हजूरिया करता है। काम कहीं मिला होता है लेकिन करवाया अपनी निजी जगह जाता है उनको पहल के आधार पर करें दिया जाता है। और वह लगातार ऑफिस के चक्कर काटते रहते हैं लेकिन उनको कार्य नहीं दिया जाता।
इस बारे में मनरेगा जिला ऑफिसर सौरभ कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा यह हमारा उद्देश्य है सब को बराबर कार्य मिले, और मनरेगा का कार्य सही तरीके से हो। फिर भी अगर कोई ऐसी जाखल में बात है तो वहां पर पहुंचकर जल्दी समस्या का निपटान करवा दिया जाएगा।
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