सफीदों, (महाबीर मित्तल)
उपमंडल के गांव बागडू कलां व खुर्द के बीच स्थित दोनों गांवों के सांझले तालाब को दोनों ग्राम पंचायतों द्वारा मछली पालन के लिए ठेके पर देने का मामला निरंतर गहराता जा रहा है। दोनों गांवों के लोग इस इकलौते तालाब में मछलीपालन के पक्षधर नहीं है तथा अपनी बात जिला व स्थानीय प्रशासन के सामने कई बार रख ख्चुके हैं। प्रशासन की दर-दर की ठोकरे खाने के बावजूद समस्या का समाधान होते ना देखकर ग्रामीणों ने आरपार करने मन बना लिया है और दोनों गांवों में पशुपालन छोड़ देने की धमकी दी है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव बागडू कलां व बागडू खुर्द में दोनों गांवों का एक ही तालाब है और शुरू से ही 36 बिरादरी के लोगों के पशु इसी तालाब में पानी पीने के लिए लाए जाते हैं लेकिन यहां की स्थिति उस वक्त से लेकर खराब हैं जब से इस तालाब को मछलीपालन के लिए ठेके पर दिया गया है।
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ग्रामीणों ने चेताया: सरकार तालाब में मछलीपालन रूकवाएं अन्यथा ग्रामीण छोड़ देंगे पशुपालन
इस तालाब के ठेके के पर जाने के बाद पशुओं व लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। इस तालाब के ठेकेदार द्वारा इस तालाब में मांसाहारी मछलियां छोड़ दी गई है और वे अब बहुत बड़ी-बड़ी हो चुकी है। ठेकेदार द्वारा तालाब में नमक के साथ-साथ इन मछलियों को मरे हुए मुर्गों को कटवाकर उनके भोजन के रूप में डलवाया जा रहा है। जिसकी वजह से तालाब का पानी पूरी तरह से गंदा व रासायनिक हो चुका है। दोनों गांवों में चारों ओर वातावरण में बदबू फैली रहती है। तालाब के अंदर जैसे ही पशु प्रवेश करते हैं वैसे ही तलाब में पल रही बड़ी-बड़ी मछलियां उनके थनों व शरीर के अन्य हिस्सों को काट खाती है। इसके अलावा जो व्यक्ति पशुओं को नहलाने के लिए उनके साथ पानी में जाता है वह भी इन मछलियों का शिकार हो रहा है। तालाब के विषैली पानी के कारण पशुओं व मनुष्यों में एलर्जी की बीमारी भी पैदा हो गई है। इस तालाब का गंदा पानी पीने व मछलियों के द्वारा काटे जाने के कारण पिछले कई महीनों में दोनों गांवों कई दर्जन पशु मौत को प्राप्त हो चुके है और काफी संख्या में बीमार चल रहे है। गांव के पशु भी इस तालाब के पानी के अंदर प्रवेश करने व पानी पीने से मुंह मोड़ में लग गए हैं।
तालाब की मांसाहारी मछलियों ने काटे पशुओं के थन, काफी पशु बीमार
उन्होंने अपने जीवन के अंदर इस तालाब में कभी भी गंदा पानी या पशु बीमार होते नहीं दिखे थे लेकिन अब उन्हें यह सबकुछ अपनी आंखों से देखना पड़ रहा है। जब इस संबंध में ठेकदार से बात की जाती है तो वह अशिष्टता के साथ ग्रामीणों के साथ पेश आता है। ठेकदार व उसके कारिंदों के बर्ताव के कारण गांव की बहु-बेटियों का इस तालाब के पास से निकलना दूभर हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या को लेकर उपायुक्त जींद, एसडीएम सफीदों व डीएसपी सफीदों से गुहार लगा चुके है लेकिन कहीं पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने इस मामले में प्रशासन के ठेकेदार से मिलीभगत होने के भी आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि जिस वक्त यह तालाब ठेके पर दिया जा रहा था उस वक्त भी दोनों गांवों के लोगों ने विरोध जाहिर किया था लेकिन दोनों गांवों के सरपंचों ने उनके विरोध को दरकिनार कर दिया और बुरा नतीजा दोनों गांवों के हजारों लोगों व पशुओं को भुगतना पड़ रहा है। सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने की बड़ी-बड़ी बातें करती है लेकिन धरातल पर सरकार के द्वारा ही पशुओं के ऊपर अत्याचार होने की खुली छूट दी जा रही है। ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन से उनके मरे हुए पशुओं के मुआवजे तथा उनके जोहड़ में मछलीपालन बंद करवाकर इसे पूरी तरह से स्वच्छ करवाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने इस मसले में बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया तो दोनों गांवों के लोग पशुपालन छोडक़र अपना पशुधन बेच देंगे।
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