सत्यखबर, चढ़ीगढ़
इतिहास हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करना और निर्णय लेना बेहद जरूरी है। चौधरी देवी लाल जी का संघर्ष हम सबके लिए मिसाल है। जब इंदिरा गाँधी ने 1975 में आज ही के दिन देश पर आपातकाल जैसा अंधकारमय कानून लागू किया था तब देश के कई बड़े नेताओं के साथ जननायक चौधरी देवी लाल जी को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। आपातकाल के कारण सभी नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे। आज़ाद होते हुए भी देश गुलाम बना दिया गया था। आपातकाल लागू होने से करीब 2-3 दिन पहले ही दिल्ली में देश के कुछ गैर कांग्रेसी बड़े नेताओं की मीटिंग हुई जिसमें 29 जून से इंदिरा गाँधी के तानाशाही शासन के ख़िलाफ़ बड़े जन आंदोलन को शुरू करने का निर्णय हुआ था लेकिन इंदिरा गाँधी को इस आंदोलन से खतरा महसूस हुआ और उन्होंने देश पर आपातकाल लागू कर दिया।
26 की सुबह जब गुड़गांव के नजदीक सोहना से चौधरी देवी लाल को गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने कहा “1947 से पहले आज़ादी के लिए जेल गए और लगता है आज़ादी अभी बाक़ी है।”जननायक चौ. देवी लाल जेल में भी इस काले कानून के ख़िलाफ़ मुखर रहे और अपना विरोध जताते रहे, उन्हें बार बार गुड़गांव, महेंद्रगढ़, रोहतक, हिसार की जेलों में शिफ्ट किया जाता रहा क्योंकि कांग्रेस के तत्कालीन नेता ये मानते थे कि चौधरी देवी लाल जहाँ रहेंगे अपना संगठन बना लेंगे इसलिए उन्हें टिकने न दिया जाए।
जेल में कई बड़े नेताओं के साथ बन्द रहे और 19 महीने से ज्यादा का समय बिना किसी दोष के जेल में काटा। तेज़ बुखार होने पर परोल दिए जाने के बावजूद परोल नहीं ली न घर गए। जूते गुम होने और उनके नए जूते आने में 4 दिन का समय लग गया लेकिन फिर भी सर्दी के बावजूद नंगे पांव जेल में खेती-बाड़ी करते रहे।
और फिर वो ऐतिहासिक समय भी आया जब सयुंक्त मोर्चे के तहत कई दलों को मिलाकर एक नई पार्टी -‘जनता पार्टी’ भी बनाई।उन्होंने आपातकाल के दौरान न तो कांग्रेस से समझौता किया न ही अपने असूल बदले। अपनी सूझबूझ और संगठन क्षमता के बल पर कांग्रेस के खिलाफ देश को नया विकल्प दिया। आपातकाल समाप्त होने के बाद भी उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा।
आज आपातकाल की बरसी के साथ समय है कि हम सभी देश के संविधान में निहित समाजवाद की मूल भावना को सम्मान दें और किसी भी प्रकार के अत्याचार के ख़िलाफ़ संघर्ष करें।
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