सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर घाट पर शनिवार सायं को पहुंचकर श्रभ्द्धालुओं ने छठ मईया की पूजा की और डूबते हुए सूर्य को अर्घ दिया। छठ के व्रतियों ने खरना (छोटी छठ) का पूजन किया और मुख्य पर्व (षष्ठी) के लिए पूजन सामग्री की तैयारी किया। नागक्षेत्र सरोवर पर माहौल पूरी तरह से भक्तिमय था और महिलाएं छठ मईयां के गीत गा रही थीं। यहां यह उल्लेखनीय है कि सफीदों क्षेत्र में काफी तादाद में बिहार व पुर्वांचल के लोग रहते है और खासकर वहां के लोगों के लिए यह विशेष पर्व माना जाता है।
इस संवाददाता को जानकारी देते हुए रामनाथ साहू ने बताया कि बता दें कि छठ पूजा में अस्तगामी और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। साल में दो बड़े अवसरों पर सूर्यदेव की आराधना और पूजा पाठ करने का विधान होता है। पहला चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी और दूसरा कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को। छठ पूजा चार दिनों तक चलता है। छठ पूजा में व्रती महिलाएं अपने लिए छठी मइया से सूर्य जैसा प्रतापी और यश को प्राप्त करने वाली संतान की प्रार्थना करती हैं। शास्त्रों में सूर्य उपासना का विधान है। सूर्य उपासना और यज्ञ करने से अच्छी सेहत रहती है। सूर्य पूजा से मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है।
उन्होंने बताया कि नए कपड़े पहनकर टोकरी, सूप, पानी वाला नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, चावल, थाली, दूध, गिलास, अदरक और कच्ची हल्दी, केला, सेब, सिंघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, सुथनी, मीठा नींबू (टाब), मिठाई, शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन आदि लेकर घाट पर छठ मईया की पूजा की जाती है तथा ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
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