सत्य खबर, नई दिल्ली(ब्यूरो रिपोर्ट)
डॉ हर्षवर्धन की पहचान एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर भले ही है, लेकिन दिल्ली प्रदेश की राजनीति में उनकी पकड़ कम नहीं हुई है। वे आज भी बीजेपी के उन नेताओं में शामिल हैं जो यहां बहुत लोकप्रिय हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो एक भी विधानसभा चुनाव दिल्ली से नहीं हारे हैं और यही वजह है कि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर पेश किया था।
बता दें कि पेशे से डॉक्टर रहे हर्षवर्धन की रुचि समाज सेवा में शुरू से ही रही और यही वजह है कि उन्होंने समाज की सेवा करने के लिए राजनीति को चुना जिसके जरिए दिल्ली प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश की सेवा वो लगातार करते रहे हैं। बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सदस्यता लेने वाले डॉ हर्षवर्धन पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में 1993 में उतरे और उसके बाद 1998,2003,2008 और 2013 में लगातार वो जीतते रहे। 2013 में दिल्ली का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा गया लेकिन पार्टी 70 सीटों वाली विधानसभा में 31 सीटें पाकर सिमट गई। उस समय भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी लेकिन डॉ हर्षवर्धन प्रदेश की कमान संभालने से वंचित रह गए। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन की वजह से अरविन्द केजरीवाल मुख्यमंत्री बने, लेकिन 49 दिन की ये सरकार घटक दलों में तकरार के चलते काम ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकी। डॉ हर्षवर्धन 2014 में चांदनी चौक से चुनाव लड़े और यूपीए के कद्दावर नेता कपिल सिब्बल को हराकर मोदी सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनाए गए। लेकिन कुछ महीने बाद उनका मंत्रालय बदल दिया गया। फिर डॉ हर्षवर्धन विज्ञान और प्राद्यगिकी विभाग को संभालते रहे। लेकिन साल 2019 में वापस उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ साथ विज्ञान और प्राद्यौगिकी और पृथ्वी विज्ञान विभाग की जिम्मेदारी दी गई।
1993 में जब पहली बार बीजेपी की सरकार बनी तो डॉ हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य मंत्री और शिक्षा मंत्री के तौर पर काम करते हुए महत्वपूर्ण योगदान दिया। साल 1994 में पल्स पोलियो प्रोग्राम उनकी देखरेख में चला और प्रदेश के 10 लाख बच्चों को इस सेवा का लाभ मिला। इसकी सफलता को देखते हुए 1995 में इस पूरे देश में चलाया गया। तकरीबन 8 करोड़ 80 लाख बच्चे इससे लाभान्वित हुए और परिणामस्वरूप 28 मार्च 2014 में भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पोलियो मुक्त भारत घोषित किया गया।
डॉ हर्षवर्धन तंबाकू सेवन के खिलाफ भी काफी मुखर रहे हैं . साल 1997 में देश में पहली बार तंबाकू के खिलाफ दिल्ली विधानसभा में कानून पास कराया । इसके तहत पब्लिक प्लेस के 100 मीटर के दायरे में धूम्रपान करना और बेचना अपराध माना गया है।
ज़ाहिर है पार्टी साल 2015 में उन्हें प्रदेश की राजनीति से दरकिनार का महज तीन सीटों पर सिमट कर खामियाजा भुगत चुकी है.ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में डॉ हर्षवर्धन के हाथों बीजेपी का नेतृत्व सौंपा जाएगा या फिर वो भी कुछ प्रमुख चेहरों में एक होंगे इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है।
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