सत्य खबर । चंडीगढ़
हरियाणा ने अपने कानूनों से पंजाब का नाम हटाने के लिए कमर कस ली है। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता की ओर से इस संबंध में प्रयास शुरू करने के बाद अब प्रदेश सरकार ने इसके लिए कमेटी का गठन कर दिया है। यह कमेटी 1968 के आदेश के तहत स्वीकृत अधिनियमों के उपशीर्षकों के संशोधन के विषय में पुनरावलोकन एवं परीक्षण करेगी।
कानून व विधि विभाग के लीगल रिमेम्ब्रेन्सर और प्रशासनिक सचिव की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी को एक माह के भीतर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को रिपोर्ट देनी होगी। प्रदेश सरकार ने कमेटी के गठन को लेकर हरियाणा विधान सभा सचिवालय को सूचित कर दिया है।
प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव विजय वर्धन की ओर से जारी आदेशानुसार इस कमेटी में कानून व विधि विभाग के ओएसडी, राजनीति एवं संसदीय मामले विभाग के उप सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के ओएसडी (नियम) बतौर सदस्य शामिल होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव को कमेटी में सदस्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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गौरतलब है कि हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने हरियाणा के अधिनियमों के नामों से पंजाब शब्द हटाने के लिए पहल की है। इस संबंध में उन्होंने 24 सितम्बर को विधानसभा सचिवालय में प्रदेश सरकार व विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
बैठक में विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि प्रदेश के सभी कानून पंजाब की बजाय हरियाणा के नाम करने की योजना तैयार करें। उस बैठक में ही कमेटी गठित करने का फैसला हुआ था। बता दें कि फिलहाल हरियाणा में करीब 237 ऐसे कानून हैं जो पंजाब के नाम से ही चल रहे हैं। विधान सभा अध्यक्ष इन सभी कानूनों में से पंजाब शब्द हटाना चाहते हैं।
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पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत वर्ष 1966 में हरियाणा राज्य का गठन किया गया था। तब पंजाब में जिन अधिनियमों का अस्तित्व था, वे ही हरियाणा में लागू रहे थे। व्यवस्था यह बनी थी कि 1968 में हरियाणा अपनी जरूरतों के मुताबिक इनमें आवश्यक संशोधन कर सकेगा। अनावश्यक कानूनों को हटाने का अधिकार भी प्रदेश की विधान सभा को मिला है।
हरियाणा को विरासत में जो कानून मिले थे, वे सभी पंजाब के नाम पर थे और गत 54 वर्षों से हरियाणा की शासन व्यवस्था इन्हीं कानूनों के आधार पर चल रही है। इसके चलते प्रदेश की जनता और जनप्रतिनिधि इन कानूनों को हरियाणा के नाम पर करने की मांग करते रहे हैं। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता इसे हरियाणा के स्वाभिमान का विषय मानते हैं।
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