सत्यखबर नारनौंद (ब्यूरो रिपोर्ट) – गौतम दर्द से बिलबिला उठे हैं। दर्द ऐसा कि, जब दादा ने चुप्पी तोड़ी तो ज्वालामुखी की तरह फट पड़े । वयोवृद्ध और कद्दावर ब्राह्मण नेता राम कुमार गौतम ने खापों के एक कार्यक्रम में जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया । उन्होंने सीधे-सीधे दुष्यंत पर अपने तरकश से कई जहर बुझे तीर छोड़े।। उन्होंने कहा कि 10 विधायकों की बदौलत दुष्यंत डिप्टी सीएम बने हैं , लेकिन अकेले ग्यारह विभाग लिए बैठे हैं , बाकी के विधायक मुंह ताक रहे हैं ।
गौरतलब है कि भाजपा से जब जेजेपी का समझौता हुआ था , तब दुष्यंत के हिस्से में 2 कैबिनेट मंत्री आए थे। दुष्यंत खुद तो डिप्टी सीएम बने लेकिन दादा गौतमी जो दूसरे कैबिनेट मंत्री बनने वाले थे , वे चूक गए। अंतिम समय में दादा का खेल बिगड़ गया और दादा कैबिनेट मंत्री बनते बनते रह गए। दादा गौतम ने आरोप लगाया कि दुष्यंत और दिग्विजय का परिवार किसी दूसरे जाट नेता को खुद से आगे नहीं निकलने देना चाहता। यही वजह है कि दिग्विजय को इन्होंने भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ सोनीपत से चुनाव लड़वाया और हरवाया।
दादा यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि ये लोग राजस्थान तक जाकर दूसरे बड़े जाट नेताओं का खेल बिगाड़ने में माहिर हैं। दादा गौतम ने इशारा किया कि दुष्यंत और रणजीत सिंह का समझौता हो गया है, इसीलिए रणजीत सिंह कैबिनेट मंत्री बने ।
लेकिन दादा का आरोप यह है कि अगर रिश्तेदारों में समझौता करना ही था तो हमें पहले ही बता देते ! हमें बेवकूफ क्यों बनाया? दादा गौतम का दर्द साफ झलक रहा था कि वह कैबिनेट मंत्री नहीं बन पाए और आज सरकार में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है । लेकिन उन्होंने ऐलान किया कि वह पार्टी में बने रहेंगे, क्योंकि वह जानते हैं कि दल बदल विरोधी कानून के तहत अगर वह पार्टी छोड़ते हैं तो विधायक का पद भी छोड़ना पड़ेगा। ऐसे में फिलहाल वह अपनी विधायकी बचा कर रखना चाहते हैं।
दादा गौतम के कड़वे बोल कोई नए नहीं है लेकिन पहली बार दुष्यंत के लिए बड़ी परेशानी खड़ा कर रहे हैं। यह संदेश जा रहा है कि क्या वाकई जेजेपी के विधायक इकट्ठे हैं ? क्योंकि यह सवाल लगातार उठ रहे थे कि हर पद अनूप धानक को ही क्यों दिया जा रहा है ? एक मात्र अनूप धानक ही ऐसे हैं जो राज्य मंत्री भी बने हैं और हाई पावर परचेज कमेटी में भी है , तो बाकी विधायकों के अंदर जो बौखलाहट है, जो गुस्सा है और जो दर्द है वह धीरे-धीरे उभर कर सामने आने लगा है ।
ऐसी स्थिति में दुष्यंत चौटाला के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, अपने विधायकों को एकजुट रखने की, पार्टी को एकजुट रखने की। क्योंकी गठबंधन की मजबूरियां ऐसी है कि वह चाहकर भी दादा गौतम को कैबिनेट मंत्री नहीं बनवा पाएंगे क्योंकि बीजेपी का इस मामले को लेकर वीटो है और किसी भी हाल में दादा गौतम के लिए दुष्यंत ना तो बीजेपी से रिश्ता तोड़ देंगे और ना ही डिप्टी सीएम की कुर्सी गंवाएंगे।।
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