सत्यखबर
आज टोक्यो ओलंपिक्स का समापन दिन है। भारतीय खिलाड़ियों ने ओलंपिक के इतिहास में इस बार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इस बार भारत ने 7 मेडल जीते जो खुद में एक रिकॉर्ड है। इससे पहले भारत ने 2012 में सबसे ज्यादा 6 पदक जीते थे। टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारत का खाता तब खुला जब मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में भारत को सिल्वर पदक दिलाया। इसके बाद बैडमिंटन में पीवी सिंधु ने ब्रॉन्ज, बॉक्सिंग में लवलीना ने ब्रॉन्ज मेडल, रवि दहिया ने रेसलिंग में सिल्वर, इंडियन मेंस हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज, रेसलिंग में बजरंग पूनिया ने ब्रॉन्ज और अंत में नीरज चोपड़ा ने भारत को जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल दिलाया इस तरह भारत ने टोक्यो में अपना शानदार प्रदर्शन किया। ओलंपिक में हर आयोजन में शीर्ष पर रहने वालों को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक देने की परंपरा सेंट लुइस 1904 ओलंपिक खेलों में शुरू हुई। ओलंपिक खेलों का आयोजन हर चाल साल में होता है, खेलों के इस महाकुंभ में दिए जाने वाले गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल की किसी धनराशि से तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि यह खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत, खेल के प्रति उनके समर्पण भाव और त्याग की बदौलत मिलते हैं जो अनमोल होते हैं।
क्या आपको पता है कि जब कोई एथलीट ओलंपिक में मेडल गले में डालता है तो इसमें कितना सोना, चांदी या अन्य धातु का मिश्रण होता है? तो आइए जानते हैं कि कैसे बनते हैं ओलंपिक के पदक। गोल्ड मेडल ओलंपिक खेल की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। यह विश्व चैंपियन के खिताब से कम नहीं है। टोक्यो ओलंपिक में जीत के बाद जो गोल्ड मेडल खिलाड़ी को दिया गया है वो खरे सोने से नहीं बना है। यह वास्तव में सिल्वर मेडल होता है जिसमें सोने की परत चढ़ी होती है। 556 ग्राम के वजन के मेडल में 6 ग्राम सोना होता है और बांकि चांदी होती होती है। भारतीय रुपये में इसकी कीमत 65790 रुपये है। इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (IOC) के नियमानुसार गोल्ड मेडल में कम से कम 6 ग्राम सोना होना चाहिए। वहीं सिल्वर मेडल की बात करें तो इसका वजह 550 ग्राम होता है जो पूरी तरह चांदी से बना हुआ है जिसकी मोटाई 7.7 मिमी से लेकर 12.1 मिमी तक है।
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इसकी बाजार कीमत से तुलना करें तो यह करीब 36630 रुपये होती है। वहीं ब्रॉन्ज मेडल का वजन 450 ग्राम है जिसमें 428 ग्राम कॉपर होता है जबकि जिंक और टिन की मात्रा भी इसमें शामिल रहती है। इसकी कीमत करीब 500 रुपये के करीब होगी। आपको बता दें कि ओलंपिक में ऐथलीट्स को केवल पदक ही नहीं मिलते हैं बल्कि 1 नंबर से 8 नंबर तक रहने वाले खिलाड़ियों को ओलंपिक का डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाता है। जो खिलाड़ी ओलंपिक में भाग लेते हैं उन्हें प्रतिभाग करने वाला प्रमाण पत्र दिया जाता है।
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