सत्यखबर
जापान की राजधानी टोक्यो में खेले जा रहे ओलंपिक खेलों में पुरुषों की 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में भारत के रवि कुमार दहिया का सामना कजाकिस्तान के सानायेव नुरीस्लम से पहले सेमीफाइनल मैच से हुआ, जहां पर रवि कुमार ने फाइनल में जगह बनाकर भारत के लिये चौथा पदक पक्का किया। रवि कुमार ने कजाकिस्तानी पहलवान को पूरी तरह से चित्त कर फाइनल में जगह बनाई और भारत के लिये सिल्वर और गोल्ड में से एक मेडल पक्का कर दिया। फ्रीस्टाइल कुश्ती में पहलवान के पास पैरों को पकड़ने की आजादी होती है और यही वो चीज है जो उसे ग्रीको स्टाइल कुश्ती से अलग बनाती है। सेमीफाइनल मैच के पहले 3 मिनट के राउंड में कजाकिस्तान के पहलवान ने पहला अंक हासिल किया। फ्री स्टाइल कुश्ती में अगर कोई खिलाड़ी पहले 2 मिनट में कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दिखाता है तो उसके विपक्षी खिलाड़ी को एक अंक मिलता है।इसी नियम के तहत कजाकिस्तान के पहलवान सानायेव नुरीस्लम ने पहला अंक हासिल किया। हालांकि रवि कुमार दहिया ने तीसरे मिनट में वापसी करते हुए नुरीस्लम को बैक लिफ्ट कर 2 अंक हासिल किया। 3 मिनट के खेल के बाद रवि दहिया ने 2-1 की बढ़त हासिल की।
30 सेकेंडस के ब्रेक के बाद जब सेकेंड हाफ का खेल शुरु हुआ तो पहले डेढ़ मिनट में कजाकिस्तान के पहलवान नुरीसलाम का दबदबा देखने को मिला, जिन्होंने रवि दहिया को एंकल लॉक में जकड़ा और 8 अंक हासिल करते हुए अंकों के अंतर को 9-2 कर दिया। रवि दहिया के लिये यहां से वापसी करना काफी मुश्किल नजर आ रहा था, तभी कजाकिस्तान पहलवान की पेनाल्टी के रूप में रवि को एक और अंक मिला।
रवि कुमार 4 मिनट 30 सेकेंड के खेल के बाद रवि कुमार 9-3 से पीछे थे और अगले डेढ़ मिनट में उनके वापसी करने का सिर्फ एक ही तरीका नजर आ रहा था कि वो कजाकिस्तान के पहलवान को नॉक आउट कर दें। हर भारतीय फैन उनकी वापसी की प्रार्थना कर रहा था और तभी रवि ने वो कर दिखाया जिसका सपना हर भारतीय देख रहा था। रवि कुमार ने कजाकिस्तान के पहलवान के राउंड से बाहर कर 2 अंक हासिल किये और ये वो मौका बना जहां से भारतीय पहलवान की वापसी हुई।
रवि कुमार के इस दांव से कजाकिस्तान के पहलवान थोड़े चोटिल हो गये। इसके बाद जैसे ही मैच दोबारा शुरु हुआ रवि कुमार दहिया ने कजाकिस्तान को बैकटर्न किया और 2 अंक हासिल किये और इसी दांव को पूरा करते हुए उनकी पीठ को जमीन से टच करा दिया। इसके साथ ही रवि कुमार ने 39 सेकेंडस पहले ही जीत हासिल कर ली और अपने पहले ही ओलंपिक मैच में भारत के लिये फाइनल का टिकट कटा कर दूसरा सिल्वर या पहला गोल्ड मेडल पक्का कर लिया।
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