सत्यखबर टोहाना (सुशील सिंगला) – भाजपा की ओर से विधानसुभा चुनावों को लेकर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषण की गई जिसमें टोहाना से एक बार फिर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को टिकट दिया गया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला अपने सरल स्वभाव व मेहनत के चलते पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने। सुभाष बराला का जन्म 5 दिसंबर 1967 को हुआ। बराला ने अपने बाल जीवन से ही राजनीति में एंट्री कर ली थी। इस दौरान बराला ने विधिवत रूप से वर्ष 1995 में भाजपा में आए।
बराला वर्ष 1995 में भूना शुगर मिल के डायरेक्टर बने।
बराला वर्ष 1998 में युवा मोर्चा भाजपा के जिला सचिव बने।
बराला वर्ष 2000 में युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बने।
बराला वर्ष 2003 से 2004 तक भजापा के जिलाध्यक्ष बने।
बराला को 2004 मे किसान मोर्चा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया वे 2006 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे।
बराला को 2006 में भाजपा में प्रदेश सचिव बनाया गया।
बराला को 2007 में फिर भाजपा के किसान मोर्चा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया
बराला फिर 2009 से 2012 तक किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रहे।
बराला को वर्ष 2012 से 2014 तक भाजपा का प्रदेश महामंत्री बनाया गया।
बराला को 25 नवंबर 2014 को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया।
अब तक वे प्रदेशाध्यक्ष के पद पर कार्य कर रहे है।
सीट का इतिहास।
टोहाना विधानसभा क्षेत्र लंबे समय तक पंजाबी विधायक होने के चलते पंजाबी बहुल्य लगती थी लेकिन वर्ष 2014 में सुभाष बराला ने भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज की। इस जीत को दर्ज करने में शहर के मतदाताओ की अहम भूमिका रही तथा मोदी लहर का भी पूरा फायदा बराला को मिला था। यहां शहर के वोटों को जीत में अहम माना जाता है जिसमें पिछली बार बराला ने अपने निकटतम उम्मीदवरों को पटखनी दी थी।
टोहाना में हुए पिछले चुनावों की अगर बात की जाए जिसने शहर में बढिया वोट हासिल किए है, उसके सिर जीत का ताज सजा है। पिछले अब तक चुनावों में टोहाना से सात बार कांग्रेस पार्टी से पूर्व कृषि मंत्री हरपाल सिंह का परिवार विधानसभा में पहुंचा, एक बार इनेलो, एक बार आजाद प्रत्याशी, एक बार सीपीएम तथा एक बार भाजपा के विधायक के रूप में सुभ्भाष बराला विधानसभा में पहुंचे। पिछले चुनाव में भाजपा की टिकट पर लगातार दो बार हार रहे सुभाष बराला विजयी हुए थे।
उन्होंने नजदीकी मुकाबले में इनेलो के सरदार निशान सिंह 6 हजार से अधिक वोटो से हराया था। इस चुनाव में आजाद प्रत्याशी देवेंद्र सिंह बबली तीसरे स्थान पर और कांग्रेस के पूर्व कृषि मंत्री परमवीर सिंह विरोध के चलते चौथे स्थान पर रहे थे।
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