सत्यखबर, नई दिल्ली
तालिबान ने अफगानिस्तान में विदेशी मुद्रा के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.अफगानिस्तान में तालिबान ने मंगलवार को विदेशी मुद्राओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, जिससे पहले से ही संघर्ष कर रही अर्थव्यवस्था में बड़े समस्या की आशंका है. बता दें कि आतंकवादी संगठन तालिबान ने अगस्त के मध्य में सत्ता पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद से ही अफगानिस्तान की राष्ट्रीय मुद्रा का अवमूल्यन होना शुरू हो गया था और देश के भंडार विदेशों में जमा हो गए थे.
अर्थव्यवस्था के चरमराने से परेशान बैंकों के पास नगदी की कमी हो रही है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अब तक तालिबान प्रशासन को सरकार के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया है. इस बीच, देश के अंदर कई लेन-देन अमेरिकी डॉलर में किए जाते हैं और दक्षिणी सीमा व्यापार मार्गों के करीब के क्षेत्रों में पाकिस्तानी रुपये का उपयोग किया जाता है. लेकिन, अब एक प्रेस बयान में तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने घोषणा की कि अब से घरेलू व्यापार के लिए विदेशी मुद्रा का उपयोग करने वाले पर मुकदमा चलाया जाएगा.उन्होंने कहा “देश में आर्थिक स्थिति और राष्ट्रीय हितों की आवश्यकता है कि सभी अफगान हर लेन-देन में अफगानी मुद्रा का उपयोग करें.”
आदेश न मानने वाले को मिलेगी सजा
जब से अफगानिस्तान में तालिबाीनी सत्ता की शुरुआत हुई है इस्लामिक स्टेट के हमले बढ़ गए हैं. तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान में विस्फोटों का सिलसिला जारी है. इनमें सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. इन सभी विस्फोटों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने ली है. इस क्रम में नया हमला राजधानी काबुल में हुआ. भीषण बम विस्फोटों में 25 लोग मारे गए और 50 से ज्यादा घायल हुए हैं. इसकी जिम्मेदारी भी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने ली.
तालिबान सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय हित में आम नागरिक, व्यापारी, छोटे दुकानदार घरेलू व्यापार के लिए अफगान मुद्रा का ही उपयोग करेंगे.ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और कठोर सजा भी दी जाएगी.अमेरिकी डॉलर का उपयोग अफगानिस्तान के बाजारों में व्यापक है, जबकि सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापार के लिए पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की मुद्रा का उपयोग किया जाता है.
तालिबान सरकार को नहीं मिली है मान्यता
अफगानिस्तान के अंदर गंभीर आर्थिक संकट का मुख्य कारण है तालिबान सरकार को मान्यता न मिलना.दरअसल, अगस्त से तालिबान शासन के बाद से अफगानिस्तान को मिलने वाली विदेशी सहायता बिल्कुल बंद हो गई है.किसी भी देश ने अभी तक तालिबान को कानूनी तौर पर मान्यता नहीं दी है, जिससे आर्थिक समस्या उत्पन्न हो रही है.
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यही कारण है कि अफगान की मुद्रा जो विदेशों में जमा है, उसे भी तालिबान प्रयोग नहीं कर पा रहा है.अफगानिस्तान की पिछली पश्चिमी समर्थित सरकार ने युनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिजर्व और यूरोप के अन्य केंद्रीय बैंकों के पास विदेशों में अरबों डॉलर की संपत्ति जमा की थी.लेकिन अगस्त में तालिबान के देश पर कब्जा करने के बाद, अमेरिका, साथ ही विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अफगानिस्तान की संपत्ति और ऋण में 9.5 बिलियन डॉलर से अधिक की पहुंच पर रोक लगान का फैसला किया.
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