सत्य खबर
दिल्ली में मंगलवार को हुई हिंसा के मद्देनजर संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार दोपहर 12 के आसपास एक आपात बैठक बुलाई है, जिसमें वर्तमान में बने हालात पर चर्चा की जाएगी। इसमें सभी किसान संगठनों के मुखिया के भाग लेने की बात कही जा रही है। वहीं, तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली बार्डर पर दो माह से भी अधिक समय से चल रहे किसानों के आंदोलन को अब आगे चलाना आसान नहीं होगा। राजधानी को राष्ट्रीय पर्व के दौरान बंधक बनाकर लाल किला की प्राचीर पर तिरंगे से अलग झंडे फहराने से लेकर मुख्य मार्गों पर हिंसक वारदातों से किसान आंदोलन को पहले से मिल रहा जनसमर्थन कम होगा।
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निहंग सिख समुदाय से जुड़े लोगों ने ट्रैक्टर परेड के नाम पर दिल्ली की सड़कों पर जिस तरह उपद्रव किया, उससे संयुक्त किसान मोर्चा ने तो पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है। मोर्चा की तरफ से हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि लालकिला की घटना को धाíमक रंग देना निंदनीय है। किसानों का आंदोलन धाíमक नहीं बल्कि किसान हित में तीन कृषि कानून रद कराने के लिए है। लाल किला की घटना को अंजाम देने वाला दीपसिद्धू सरकार का दलाल है। पहले से ही दीपसिद्धू इस तरह की हरकत कर रहा था।
संयुक्त किसान मोर्चा का लाल किला पर जाने का कोई निर्णय नहीं था। चढूनी का यह बयान सीधे तौर पर संयुक्त किसान मोर्चा के बचाव के परिदृश्य में माना जा रहा है क्योंकि अब चढूनी ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में घुसे किसानों पर लाठी-गोली बरसाने की निंदा करते हुए कह रहे हैं कि यह हिंसा दिल्ली पुलिस द्वारा सही रूट तय नहीं करने के कारण हुई है।
चढूनी के इस बयान से साफ है कि संयुक्त किसान मोर्चा को निहंग सिखों को इस आंदोलन से दूर रखना होगा। इसलिए आगे आने वाले दिनों में सिंघु बार्डर से लेकर टीकरी और गाजीपुर बार्डर पर शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए आए किसानों रोककर रखना भी संयुक्त मोर्चा के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।
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