सत्यखबर, दिल्ली
केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से पिछले साल लाए गए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त कर दिया है। अब सिर्फ शीतकालीन सत्र के दौरान तीनों कृषि कानूनों पर संसद की मुहर लगना बाकी है। तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने का ऐलान खुद पीएम नरेन्द्र मोदी ने गुरुनानक जयंती के अवसर पर शुक्रवार को किया। वहीं, मोदी सराकार के तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले लगभग एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा के समर्थक अगली रणनीति के लिए शनिवार को एक अहम बैठक दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कहा है कि जब तक संसद से ये कानून निरस्त नहीं हो जाते तब तक वे धरनास्थलों से नहीं हटेंगे। ऐसे दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक पर केंद्र सरकार की भी नजर रहेगी। ऐसे में इस बात की उम्मीद कम ही है कि धरना खत्म करने के बाबत कोई निर्णय लिया जाए।
यहां पर बता दें कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के साथ सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) पर जश्न जारी है। शनिवार सुबह भी लोगों ने जय जवान जय किसान के नारे लगाए और दोबारा आंदोलनरत किसानों ने एक-दूसरे को गले मिलकर बधाई दी, लेकिन आंदोलन समाप्त करने पर अभी संशय बरकरार है।
दरअसल, आंदोलनरत किसान और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अभी इस घोषणा को अधूरा बता रहे हैं। उनका कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी के अलावा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी पर भी कानून बनाना भी उनकी प्रमुख मांग है। इस पर फिलहाल प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं बोला है। यही नहीं, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोग और इस दौरान दर्ज हुए मुकदमों की वापसी पर बात होनी बाकी है। इसको लेकर शनिवार को कुंडली बार्डर पर होने वाली मोर्चा की बैठक में चर्चा के बाद ही आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने इस संबंध में बयान जारी कर निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से इस घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा की जाएगी।
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संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डा. दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, हन्नान मौल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगरहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है यह आंदोलन केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए नहीं है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है। किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है। इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकि है। मोर्चा सभी घटनाक्रमों पर संज्ञान लेकर जल्द ही अपनी बैठक करेगा और आगे के निर्णयों और रणनीति की घोषणा करेगा।
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