सत्यखबर
चीनी के दाम बढ़ने से मिलों ने निर्यात के नए अनुबंधों पर फिलहाल रोक लगा दी है। घरेलू बाजार में चीनी का मूल्य दो महीने के भीतर 13 फीसदी बढ़ चुका है और कीमतें चार साल के शीर्ष पर पहुंच गई हैं। इससे मिलों को वैश्विक बाजार जितना मूल्य भारत में ही मिलने लगा है। सहकारी चीनी फैक्टरी राष्ट्रीय संघ के प्रबंधन निदेशक प्रकाश नायकनवारे ने बताया कि मिलों को स्थानीय बाजार में ही चीनी के बेहतर दाम मिल रहे हैं, जिससे निर्यात के नए अनुबंध फिलहाल नहीं किए जा रहे। वैश्विक बाजार में कीमतें और बढ़ने पर ही नए अनुबंधों पर विचार किया जाएगा। 1 अक्तूबर से शुरू हो रहे चीनी विपणन वर्ष 2021-22 के लिए अभी तक महज 12 लाख टन चीनी निर्यात का अनुबंध किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत से वैश्विक बाजार में कम चीनी भेजे जाने से दाम और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि सबसे बड़ा उत्पादक ब्राजील इस साल कम चीनी निर्यात करेगा। अगर वैश्विक बाजार का मूल्य ऊपर जाता है, तो नए निर्यात अनुबंधों पर विचार किया जाएगा।
नायकनवारे के अनुसार, घरेलू बाजार में चीनी का भाव 36,900 रुपये प्रति टन है। यह नवंबर, 2017 के बाद चीनी का सबसे ऊंचा भाव है। वहीं, निर्यातक मिलों को कच्ची चीनी का 31,500 रुपये प्रति टन और सफेद चीनी का 32,000 रुपये प्रति टन देने की पेशकश कर रहे हैं। ऐसे में मिलों को निर्यातकों के मुकाबले प्रति टन करीब पांच हजार रुपये ज्यादा मिल रहे। यही कारण है कि मौजूदा चीनी विपणन वर्ष में रिकॉर्ड 75 लाख टन निर्यात करने वाली मिलों ने अगस्त के बाद से कोई अनुबंध नहीं किया है।
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वैश्विक बाजार से जुड़े चीनी डीलरों का कहना है कि नए सत्र में घरेलू बाजार में चीनी के दाम नीचे आएंगे। मिलें अभी यूपी सरकार की ओर से गन्ने का मूल्य तय किए जाने का इंतजार कर रही हैं। अनुमान है कि निर्यात में मौजूदा कमी से वैश्विक बाजार में कीमतें ऊपर जाएंगी, जिससे अगले सत्र में 50 लाख टन से ज्यादा चीनी निर्यात की संभावना है। केंद्र सरकार ने चीनी निर्यात पर सब्सिडी के रूप में दी जाने वाली राशि में से 1,800 करोड़ का भुगतान कर दिया है।
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