मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री व मंत्रियो सहित हरियाणा के सभी 90 विधायकों के नाम जुमला मालकान व मुश्तरका मालकान की जमीनों की मलकीयत पंचायत के नाम तबदील करने वाले कानून को बदलने के लिए लिखा खुला पत्र
सत्य खबर, नारायणगढ़, (सरिता धीमान)। भारतीय इंकलाब संघ के संयोजक एडवोकेट धर्मवीर ढींढसा ने हरियाणा के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री व मंत्रियों सहित सभी 90 विधायकों को खुला पत्र लिखकर आह्वान किया कि वह प्रदेश के किसानों की मलकीयत जमीन जिसका जमाबंदी के मलकीसत के खाना में इंद्राज जुमला मालकान व दीगर हकदारान हसब रसद अराजी खेवट या जुमला मालकान व दीगर हकदारान हसब रसद जर खेवट या मुश्तरका मालकान दर्ज है को पंचायती मलकीयत में बदलने वाले हरियाणा सरकार के संशोधन कानून में बदलाव करने के लिए सामने आये और जरुरी कारवाई हरियाणा विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर करे या आगामी सत्र में इस कानून में बदलाव हरियाणा विधान सभा में एक संशोधन प्रस्ताव के माध्यम से करें। ढींढसा ने बताया कि इसका नोटिफिकेशन 9/1992 के तौर पर हुआ। भारतीय इंकलाब संघ के संयोजक एडवोकेट धर्मवीर ढींडसा ने खुला पत्र लिखते हुए कहा कि पत्र के माध्यम से वह विधायकों व मंत्रियों का ध्यान हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा विधानसभा में सन 1991 में पास किये गए संशोधन विधेयक जोकि वर्ष 1992 में 9/1992 के तौर पर नोटिफाई हुआ के लागू होने के बाद और मौजूदा समय में माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए निर्णय से पैदा हुई स्थिति की तरफ दिलाना चाहते हैं। उन्होंने लिखा कि हरियाणा सरकार ने उपरोक्त संशोधन विधेयक के माध्यम से संशोधन कर यह व्यवस्था की थी कि हरियाणा प्रदेश में जिन जमीनों की जमाबंदी के मलकीयत के कॉलम नम्बर 4 में जुमला मालकान व दीगर हकदारान हसब रसद अराजी खेवट या जुमला मालकान व् दीगर हकदारान हसब रसद जर खेवट या मुश्तरका मालकान दर्ज है तो इसका अर्थ भी शामलात देह माना जायेगा जिसका सीधा अर्थ हुआ कि इन जमीनों की मलकीसत इस कानून के लागू होने के बाद पंचायत के नाम तबदील हो जाएगी जबकि दस्तावेजों के अवलोकन व उपलब्ध रिकॉर्ड के अध्ययन से यह स्पष्ट है कि भूमि की मलकीयत का राजस्व रिकॉर्ड तैयार करते समय व चकबंदी के दौरान इन जमीनों को सांझी (मुश्तरका / इकठ्ठी) छोड़ दिया गया था और कुछ स्थानीय कारणों से इन जमीनों का मालिकों / खेवटदारों / हकदारों के बीच में बंटवारा नहीं किया गया और वर्षो तक किसान अपनी इन जमीनों पर कई जगह काश्त करते रहे और कुछ जगह किसानों ने अपनी इन मलकीयत जमीनों को रेवन्यू विभाग के अधिकारियों से आपस में बाहिस्सा तकसीम भी करवा लिया और उनकी बिक्री भी कर दी है और यह सभी प्रक्रिया भी रेवेन्यू विभाग के अधिकारियों द्वारा तथ्यों व दस्तावेजों के अवलोकन के बाद पूरी की गई और अनेक जगह इन जमीनों पर खरीददारों ने मकान, दूकान व अन्य प्रतिष्ठान भी बना लिए हैं। एडवोकेट ढींडसा ने आगे लिखा कि इसमें कोई कोई संदेह नहीं है कि इन सभी जमीनों पर किसानों के मालिकाना व काश्तकारी के हक हैं लेकिन हरियाणा सरकार के उपरोक्त संशोधन विधेयक के लागू होते ही किसानों की उपरोक्त जमीन की मलकीयत पंचायतों के नाम तबदील बिना किसी मुआवजे के हो जाएगी जबकि संवैधानिक अधिकारों के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को उसकी मलकीयत जमीन, जायदाद या प्रॉपर्टी से बिना उचित मुआवजे के बेदखल नहीं किया जा सकता लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए निर्णय के बाद हरियाणा सरकार द्वारा सभी उपायुक्तों को पत्र के माध्यम से इस भूमि के बारे कारवाई करने के निर्देश जारी किये गए हैं जोकि सीधे तौर पर प्रदेश के किसानों के हकों के विपरीत हैं। इसके अलावा उपरोक्त जमीनों पर किसानों की मलकीयत के दावे इस आधार पर भी पुख्ता होते हैं कि अगर यह जमीन पंचायत की मलकीयत होती तो राजस्व रिकॉर्ड तैयार करते समय व चकबंदी के दौरान इस जमीन के मलकीसत के खाना में पंचायत देह ही दर्ज होता ना कि जुमला मालकान, मुश्तरका मालकान जिसका अर्थ होता है खेवटदारों की ये सांझी मलकीयत है इसके अलावा प्रत्येक गाँव में पंचायत की मलकीयत जमीन अलग से आरक्षित है जिसके मलकीयत के खाना में भी पंचायत देह दर्ज है। एडवोकेट ढींडसा ने विधायकों को पत्र के माध्यम से याद दिलवाते हुए लिखा कि प्रदेश की जनता ने उनको इस आशा व विश्वास के साथ हरियाणा विधानसभा में बतौर विधायक चुन कर भेजा है कि वह हरियाणा जैसे कृषि प्रधान प्रदेश में न केवल हरियाणा की आवाम के हितों बल्कि हरियाणा प्रदेश के किसानों के हितों की रक्षा बतौर संरक्षक हर संभव कानूनी तरीके से करेंगे लेकिन हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित उपरोक्त संशोधन हरियाणा प्रदेश के किसानों के हितों के विपरीत है। उनकी जमीन पर उनके मलकीयत हक छीनने वाला है व इसके लागू होने से एक बड़ी मुसीबत हरियाणा प्रदेश के किसानों के सामने होगी। एडवोकेट ढींढसा ने पत्र के अंत में हरियाणा के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री व विधायकों को आहवान किया कि वह हरियाणा विधानसभा द्वारा वर्ष 1991 में पारित उपरोक्त संशोधन विधेयक को एक नए संशोधन के माध्यम से बदल कर उपरोक्त जमीनों पर किसानों के मालिकाना हक को स्पष्ट व सुनिश्चित करें और आपके इस किसान हितकारी कार्य के लिए प्रदेश की आवाम विशेषकर कृषि प्रधान हरियाणा प्रदेश के किसान आपके आभारी होंगे। इसलिए विधायक हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र की मांग या आगामी सत्र में किसानों के हक में बदलाव के लिए पहलकदमी करें और हरियाणा के किसानों का जायज हक छीनने वाले इस कानून को निरस्त व बदलने के लिए एक संशोधन विधेयक हरियाणा विधानसभा में पास करवाने के लिए प्रयास कर हरियाणा के किसानों के हक की रक्षा करें जिसके लिए हरियाणा के इतिहास में किसान हितैषी के तौर पर उनका नाम स्वर्णीय अक्षरों में लिखा जाएगा। भारतीय इंकलाब संघ के उत्तरी हरियाणा के प्रभारी ऐडवोकेट संजीव कुमार बख्तुआ ने कहा कि भारतीय इंकलाब संघ किसानो के हक की लड़ाई हर मोर्चे पर लडऩे के लिए संकल्पबद्ध है और इस कानून में बदलाव के लिए हर संभव प्रयास करेगा। भारतीय इंकलाब संघ ने किसानों को लामबंद करने के लिए जनजागरण अभियान पंचायतों के माध्यम से चला रखा है।
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