सत्यखबर हरियाणा (अशोक छाबड़ा) – संयुक्त पंजाब के बंटवारे के बाद हरियाणा का विधानसभा में पूरा हिस्सा लेने के लिए स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता की ओर से की गई पहल पर पंजाब ने अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है। पंजाब ने बाकि हिस्सा देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में अब हरियाणा विधानसभा स्पीकर इस मामले को लेकर एडवोकेट जनरल से कानूनी राय लेने के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्यपाल को भी पत्र लिखेंगे।
1966 में ही पंजाब से हरियाणा के अलग होने पर उसकी विधानसभा भवन में 40 फीसदी हिस्सेदारी तय हुई थी। परंतु हरियाणा को 27 फीसदी ही मिला। उसके करीब 20 कमरों को पंजाब इस्तेमाल कर रहा है। इसे लेकर स्पीकर गुप्ता ने पंजाब के स्पीकर राणा केपी सिंह से मुलाकात की थी। जिसके बाद दोनों विधानसभा के सचिव स्तर पर वार्ता हुई। लेकिन इसके बाद कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। पंजाब के साथ हरियाणा का एसवाईएल विवाद भी शुरू से चल रहा है। हरियाणा सरकार की ओर से केंद्र को अलग हाई कोर्ट के लिए भी पत्र लिखे हैं।
सचिवालय भी दोनों राज्यों के एक जगह है। जिसमें भी हरियाणा के पास जगह कम है। 1966 में जब हरियाणा,पंजाब से अलग हुआ, तब हरियाणा में 54 विधायक थे। 1967 में संख्या बढ़कर 81 हो गई। जबकि 1977 में विधायकों की संख्या 90 हुई। ऐसे में जगह की कमी हो रही है।
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