सत्य खबर, नई दिल्ली
रविवार को वैस तो देश के पांच राज्यों के चुनावों का परिणाम घोषित होने जा रहा है पर देश की जनता की ज्यादा नजर पश्चिम बंगाल पर है। यहां भी नंदीग्राम विधानसभा सीट सबसे हाट सीट बनी हुई है। इसलिए तो काउंटिंग शुरू होते ही सबकी नजर पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट पर ही थी। बंगाल की मिट्टी को पहचानने का दंभ भरने वाली ममता बनर्जी और उनके पुराने साथी शुभेंदु अधिकारी के बीच नहले पे दहले का खेल सुबह सवेरे से ही शुरू हो गया था।
वामपंथियों के चौतीस साल के राज को रौंदकर सत्ता में आई ममता बनर्जी को काउंटिंग शुरू होने के लगभग चौतीस मिनट बाद से ही पीछे होने का मजा अधिकारी चखाते नजर आए। तीसरे चरण की काउंटिंग के खात्मे तक लगभग सवा दस बजे कभी उनके सिपहसालार रहे अधिकारी लगभग आठ हजार वोटों से उनसे आगे उड़ान भरते नजर आए। वहीं आंदोलन की धरती पर सुबह के पौने ग्यारह बजे तक एक अकेली जबरदस्त ममता बनर्जी के पैरों तले जमीन खिसकती नजर आ रही थी। पर इसके बावजूद भी बीजेपी के धुरंधर कैलाश विजयवर्गीय सधे हुए नजर आए। वो बार-बार कैमरों पर बकायदा सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए यही कहते नजर आए कि नंदीग्राम पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इस बार राउंड काफ ी ज्यादा हैं। सूरज ढलने तक ही कुछ साफ कहा जाएगा।
कहते हैं न की राजनीति क्या-क्या नहीं दिखाती। नंदीग्राम की धरती पर गुरु गुड़ हो रहा था और चेला शक्कर होने की कगार पर पहुंच रहा था। खोमचों पर बैठे ममता के धुर विरोधी उन पर कांग्रेस से सेटिंग का आरोप लगाते हुए उनकी घेराबंदी करने में जुटे हुए थे पर चेहरे से वो आत्मविश्वास नदारद था जो रैलियों में रेला बनकर नजर आ रहा था, क्योंकि ये सब जानते हैं कि काउंटिंग के अंतिम राउंड तक ऊंट किस करवट बैठेगा। ये कोई नहीं बयां कर सकता। हालां कि यह स्थिति भी काफी हद तक सपष्ट हो चुकी है कि पश्विम बंगाल में फिर से टीएमसी की ही सरकार बनने जा रही है पर नंदीग्राम में ममता अगर सीट हार जाती हैं तो यह उनके लिए बेहद शर्मनाक होगा। दोपहर 1 बजे तक टीएमसी 180 सीटों पर आगे चल रही थी तो भाजपा 106 सीटों पर बढ़त बनाए हुई थी।
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