सत्यखबर ढिगावा मंडी (मदन श्योराण) – पांच दिन पहले टूटी नहर का कार्य शुरू, किसानों की तबाह हुई फसल का मूल्यांकन हभी तक नहीं। जमीनी पानी कम होने के कारण नहरी पानी से अच्छी खेती होने की उमीदे बनी थी। लेकिन पुरानी और कमजोर नहर बहते पानी का झेल नही पा रही है और किसानों को लाभ की जगह नुकसान देने वाली बन गई। ज्ञात होगा कि बुधवार को बुढेड़ा गांव के पृथ्वी के खेत के पास से पानी के बहाव के कारण नहर टुट गई थी जिसके कारण 30 एकड में खडी गेहूं और सरसों की फसल मिट्टी के कटाव के कारण तबाह हो गई थी। पशु चारे का भण्डारन 7 एकड़ का पानी में बहने से नष्ट हो गया था ग्रामीणों के अनुसार बुधवार सुबह लगभग पांच बजे नहर टुटने गई थी विभाग को उसी समय सुचना भेज दी थी।
लेकिन विभाग ने सात घंटे तक कोई सुध नही ली और दो बजे नहर के बहते पानी को जोहड में डाला गया। अगर विभाग नहर को सुहब टुटने के समय ही नहर के पानी को बुढेड़ा के जोहड में डाल देते तो किसानों को लाखों रूपये का नुकसान होने से बचाया जा सकता था। किसानों की लगभग 30 एकड़ जमीन पर गेहूं और सरसों की फसल तबाह हो गई है। आज तक कृषि विभाग का कोई भी है अधिकारी नहर टूटने से हुए नुकसान का जायजा लेने तक नहीं पहुंचा है।
वहीं नहर महकमे के कर्मचारी नहर को ठीक करने के लिए आधा दर्जन ट्रैक्टर और जेसीबी से नहर को ठीक करने में लगे हुए हैं। गांव चहड़ के हजारी, बुढेडा के पृथ्वी सिंह, राजेन्द्र, राजेश, सुनीता, सुमित्रा, विजय और प्रदिप सहित अनेक किसानों की जमीन में खडी फसल पानी में बह गई थी। पानी के तेज बहाव होने के कारण हजारो मण पशु चारा भी पानी में बहगया था किसानों ने नहर टुटने से हुए नुकसान की भरपाई की मांग कर रहे है।
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