सत्यखबर
पाकिस्तान में 100 साल से भी ज्यादा पुराने गुरुद्वारे श्री गुरु सिंह सभा को मरम्मत और दोबारा खोलने जाने के लिये अल्पसंख्यक मामलों के शीर्ष निकाय को सौंप दिया गया है. इस गुरुद्वारे को दो दशक पहले एक पुस्तकालय में तब्दील कर दिया गया था, जिसका सिख समूहों ने पुरजोर विरोध किया था. फिलहाल यह गुरुद्वारा खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार के नियंत्रण में है. इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्डके अध्यक्ष आमेर अहमद ने कहा, ”पूरी तरह से विचार-विमर्श के बाद, केपीके सरकार ने आखिरकार बोर्ड के रुख को स्वीकार कर लिया और मनसेहरा जिले में स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा का कब्जा ईटीपीबी को देने पर सहमति जता दी.
ईपीटीबी एक वैधानिक बोर्ड है जो उन हिंदुओं और सिखों की धार्मिक संपत्तियों व तीर्थस्थलों का प्रबंधन करता है जो विभाजन के बाद भारत चले गए थे.प्रांतीय सरकार ने 20 साल पहले स्थानीय सिख समुदाय के विरोध के बावजूद गुरुद्वारे को ‘नगर पुस्तकालय भवन’ में बदल दिया था.
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विभाजन के बाद से गुरुद्वारा पूजा के लिए बंद कर दिया गया था. हजरों के सिख संत सरदार गोपाल सिंह साथी ने 1905 में गुरुद्वारे की आधारशिला रखी थी.साल 1976 में मनसेहरा को एक जिले के रूप में आधिकारिक रूप से सीमांकित करने के बाद, मंदिर को पुलिस विभाग को सौंप दिया गया, जिसने अपने परिसर में एक पुलिस स्टेशन की स्थापना की. 2000 में गुरुद्वारे में एक सार्वजनिक पुस्तकालय स्थापित किया गया था.
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