सत्य खबर, पानीपत
महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। उन क्षेत्रों में भी कदम रख रहीं हैं। जिनमें मर्दों का दबदबा माना जाता था। पेशवर ड्राइविंग भी एक ऐसा ही क्षेत्र है। जिसमें लड़कियां कम ही आगे आती है, लेकिन अब ये परिपाटी भी बदलने लगी है। राची ने पुरुषों के दबदबे वाले इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है और हैवी लाइसेंस प्राप्त किया है। 20 साल की राची ने 7वीं कक्षा से ड्राइविंग सिखना शुरु किया था। जब राची 14 साल की थी। तो उसके पिता रघुनाध ने उनको ड्राइविंग सिखानी शुरू की।
राची के पिता खुद टैक्सी ड्राइवर हैं। 6 साल से ड्राइविंग कर रही राची अब मंझी हुई ड्राइवर हैं। बीकॉम सेकेंड ईयर की छात्रा राची पढ़ाई के साथ साथ ड्राइविंग स्कूल भी चलाती हैं। जिससे उसकी अच्छी कमाई होती है। राची ने अभी स्नातक भी नहीं की है और वो ड्राइविंग कर इतनी कमाई कर लेती हैं। जिससे वो अपना गुजार चला सके। पिछले दो साल से उसने घर से कोई रुपया नहीं लिया है। वो अपना सारा खर्च ड्राइविंग से निकालती हैं। स्कूल और कॉलेज के टूर के लिए भी स्कूल प्रबंधक उसे ही बुलाते हैं और लड़कियां भी उसके साथ अपने आप को सुरक्षित महसूस करती हैं। राची ने ड्राइविंग स्कूल भी खोल रखा है। जिसमें उनके पास सिखने के लिए अधिकतर लड़कियां आती है। राची से ड्राइविंग सिखने में लड़कियां सहज और सुरक्षित महसूस करती हैं। मां-बाप भी अपनी बेटियों को ड्राइविंग सिखाने के लिए राची को ही महत्व देते हैं। टैक्सी स्टैंड पर भी राची अक्सर ट्रैवलर और अन्य गाड़ियां चलाती दिखाई देती हैं।
*जानिए किसे बनाया विपक्ष ने उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी*
राची ने हैवी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए हरियाणा रोडवेज के ट्रेनिंग सेंटर से ट्रनिंग ली है और अब वो बडे़ से बड़ा वाहन चला सकती हैं। राची जिले की पहली लड़की हैं जिसने ये टेस्ट पास कर हैवी लाइसेंस लिया है। हैवी लाइसेंस लेने से वो हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर भर्ती होने के योग्य हो गई हैं। बस चलाने की ट्रेनिंग देने वाले राजेंद्र ने बताया कि पानीपत में पहली बार किसी लड़की ने हैवी लाइसेंस बनवाने के लिए ट्रेनिंग ली है और राची ने बड़ी लगन के साथ जल्दी बस को चलाना सीखा है।
Aluminium powder recycling Aluminium scrap wire processing Metal reuse and reclamation
Aluminum scrap uses Aluminium scrap tertiary processing Scrap metal weighing services