सत्यखबर, पानीपत
कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले ही सिविल अस्पताल पानीपत को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति निधि से ऑक्सीजन प्लांट की सौगात मिल गई है। यह प्लांट हवा से प्रति मिनट 1000 लीटर ऑक्सीजन तैयार करेगा। इससे 150 बेड को 24 घंटे ऑक्सीजन आपूर्ति की जा सकेगी। इस प्लांट को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डिजाइन किया है। अब यह तैयार हो चुका है। इसी सप्ताह में इसका प्रशिक्षण किया जाएगा। इसको लेकर पीएमओ जल्द डॉक्टरों के साथ मीटिंग करेंगे। प्रशिक्षण से पहले अस्पताल में पर्याप्त ऑक्सीजन की व्यवस्था की जाएगी। ये जाना जाएगा कि कितने मरीज ऑक्सीजन बेड पर हैं। कितने मरीजों की हालत गंभीर है। इसके बाद प्लांट का ट्रायल किया जाएगा।
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लार्सन एंड टर्बो कंपनी ने कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत यह प्लांट पीएम केयर्स फंड में डोनेट किया है। इसी कंपनी के इंजीनियरों ने जनरेटर, कंप्रेसर, ड्रायर और दो टैंक सहित पूूर्ण प्लांट को स्थापित करने के लिए काम शुरू कर दिया है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने शेड और फाउंडेशन तैयार किया है। अस्पताल प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी इलेक्ट्रिक विंग के माध्यम से 250 वाट का डीजल जनरेटर भी क्रय किया है।
ऐसे बनती है हवा से ऑक्सीजन
वातावरण से हवा को कंप्रेस किया जाता है। फिल्टर की मदद से इसे शुद्ध कर ठंडा किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में हवा में मौजूद ऑक्सीजन लिक्विड में तब्दील हो जाती है। इसे स्टोर किया जाता है, यही मेडिकल ऑक्सीजन है। कुछ प्लांट लिक्विड में तो कुछ गैस के रूप में ऑक्सीजन तैयार करते हैं। ऑक्सीजन हवा और पानी दोनों में मौजूद होती है। हवा में 21 फीसद ऑक्सीजन, 78 फीसद नाइट्रोजन और एक फीसद अन्य गैसें जैसे हाइड्रोजन, नियोन, जीनोन, हीलियम और कार्बन डाइआक्साइड होती हैं। डॉ. सुदीप सांगवान ने बताया कि एक व्यक्ति को 24 घंटे में करीब 550 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन चाहिए। श्रम करने पर अधिक ऑक्सीजन चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति एक मिनट में 12 से 20 बार सांस लेता है। उसके ब्लड में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच होना चाहिए। ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे होने पर उसे कृत्रिम ऑक्सीजन दी जाती है। प्लांट तैयार हो चुका है। अब इसका ट्रायल होगा। इसके लिए डॉक्टरों के साथ बैठक की जाएगी। अस्पताल में ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई मंगवाई जाएगी। मरीजों की स्थिति जांची जाएगी। तब ट्रायल करेंगे।
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