पैक्स में किसान ऋण सीमा नहीं बढ़ाई तो करेंगे आंदोलन
पिछले 10 साल से नहीं बढ़ा एमसीएल
सत्य खबर सफीदों, महाबीर मित्तल: सहकारी क्षेत्र में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) के माध्यम से प्रदेश के किसानों को उपलब्ध कराए जा रही फसली ऋण सुविधा को लेकर सरकारी विभाग एवं सहकारी बैंकों के संबंधित अधिकारी किसान हित में खड़े नजर नहीं आ रहे हैं जिससे किसानों में रोष व्याप्त है। छापर के प्रगतिशील किसान जसपाल मान, जामनी के राजेश जामनी व बुढ़ाखेड़ा के धर्मबीर ने सोमवार को यहां बताया कि वे इस मामले को प्रदेश की किसान यूनियन के समक्ष उठाएंगे और इस दिशा में किसानों की उपेक्षा के विरोध में आंदोलन छेड़ेंगे। इन्होंने बताया कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के सदस्य किसानों को आज भी उसी दर पर फसली ऋण सुविधा दी जा रही है जो 13 वर्ष पहले निर्धारित की गई थी। उसके बाद किसानों की ऋण सीमा जो हर 3 वर्ष के बाद रिवाइज की जानी चाहिए, वर्ष 2011 से उसमें इजाफा करने की प्रक्रिया निरन्तर ठप है और वर्ष 2008 में कृषि उत्पादन लागत के अनुमान के साथ तय की गई किसानों की फसली ऋण सीमा को ही समय-समय पर आगे बढ़ाया जा रहा है।
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अब वह ऋण सीमा प्रदेश भर में आगामी 30 अगस्त तक बढ़ाई गई है। इनका कहना है कि इस ऋण सीमा में किसानों को प्रति एकड़ 14 हजार रुपये नकद व 3400 रुपये की खाद तथा रबी फसलों के लिए 14600 रुपए नकद व 4900 रुपये की खाद दी जा रही है जबकि किसानों की उत्पादन लागत इस दर के मुकाबले 2 से ढाई गुना बढ़ चुकी हैं। बता दें कि प्राथमिक कृषि सहकारी समिति की प्रबंधक कमेटी अपने सदस्यों की ऋण सीमा तय करके उसकी विधिवत मंजूरी का प्रस्ताव संबंधित जिला सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक को भेजने व हर 3 साल के बाद ऐसी ऋण सीमा को रिवाइज करने का प्रावधान है लेकिन हरियाणा में पिछले 10 वर्षों से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है जिसके कारण किसानों में रोष व्याप्त है यह अलग बात है कि ऐसा रोष इन समितियों के ऋणी सदस्यों को निरंतर दी जा रही शत प्रतिशत ब्याज माफी योजना में दबकर रह गया है। किसानों की मांग है कि इस ऋण सीमा को तत्काल प्रभाव से कम से कम दोगुना किया जाए।
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