सत्य खबर, चंडीगढ़
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सेना, रेलवे जैसे बड़े विभागों में भर्ती शुरू करने की बजाय पदों को ख़त्म करने और रेगुलर पदों को संविदा में बदलने के नये-नये नियम बनाए जाने की ख़बरों पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने युवाओं को हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, जबकि ख़बरें बता रही है कि अकेले रेलवे में ही खाली पड़े 91 हज़ार से ज्यादा पद हमेशा के लिए ख़त्म कर दिए गए और गैर-संरक्षा श्रेणी के 50 प्रतिशत पदों को ख़त्म करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। आदेश लागू होने के बाद गैर-संरक्षा श्रेणी के कुल 4,52,825 पदों में से करीब सवा दो लाख स्वीकृत पद समाप्त हो जायेंगे। इसी प्रकार, पैसा बचाने के नाम पर देश की सुरक्षा को ताख पर रख दिया है। नये नियमों के तहत सैनिकों को 3 साल, 5 साल की सेवा के बाद निकालने की तैयारी कर रही है सरकार। अगर इसी लाइन पर सरकार आगे बढ़ती रही तो पैसा तो बच जाएगा मगर देश कैसे बचेगा? उन्होंने कहा कि भाजपा की गलत नीतियों के चलते बढ़ती बेरोज़गारी से युवा हताश और निराश हो चुके हैं। सरकार बेरोज़गारी कम करने की बजाय बढाने पर उतारू हो गई है।
उन्होंने आगे कहा कि हर साल 2 करोड़ नौकरियाँ देने का वादा करने वाली बीजेपी सरकार सेना में अधिकारी और सैनिकों के करीब डेढ़ लाख खाली पदों को ही नहीं भर पा रही है। 3 साल से भर्तियाँ बंद हैं, युवा गाँव-गाँव में हाड़तोड़ मेहनत कर रहे ताकि सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर सकें। भाजपा सरकार जानबूझकर भर्तियाँ बंद किये हुए है, ताकि युवा ओवरएज हो जाएँ और उनको नौकरी न देनी पड़े जिससे खजाने का पैसा बच जाए। लेकिन उसका ये रवैया न सिर्फ युवाओं के भविष्य के लिए खतरनाक है बल्कि देश की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि सरकार पैसा बचाने के नाम पर सैनिकों को 3 साल, 5 साल की सेवा के बाद निकालने के नियम बना रही है। ये पहली सरकार है जो देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है। ऐसी ख़बरें सामने आ रही हैं कि अग्निपथ योजना के तहत सैनिकों को प्रशिक्षण सहित तीन साल की सेवा के बाद रिटायर कर दिया जाएगा। कुछ को पांच साल की संविदा सेवा के बाद निकाला जाएगा। सिर्फ 25 प्रतिशत को पूर्ण अवधि के लिए बनाए रखा जाएगा। इसके तहत रिटायरमेंट के लगभग 30 दिनों के भीतर 25 प्रतिशत सैनिकों को नई तारीख देकर वापस बुलाया जाएगा। लेकिन पिछले चार वर्षों की संविदा सेवा को वेतन और पेंशन के निर्धारण के लिए उनकी पूर्ण सेवा में नहीं गिना जाएगा, जिससे सरकार को बड़ी बचत करेगी।
रेलवे में ख़त्म किये गए पदों की खबर पर चिंता जताते हुए दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि भारतीय रेल में गैर-संरक्षा श्रेणी के 91,629 पदों पर भविष्य में कभी भर्तियां नहीं होंगी। सरकार ने इनको गैर-जरूरी बताते हुए हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया है। इसके अलावा रेलवे बोर्ड ने सभी 17 जोनल रेलवे में गैर संरक्षा श्रेणी के 50% पदों को समाप्त करने निर्देश जारी किये हैं। रेलवे के आदेश पर अमल होने के बाद गैर-संरक्षा श्रेणी में कुल 4,52,825 पदों में से करीब सवा दो लाख स्वीकृत पद समाप्त हो जायेंगे।
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