सत्यखबर, नई दिल्ली
पश्चिम बंगाल के स्कूलों में समलैंगिक संबंधों वाली फिल्में दिखाए जाने का मामला सामने आने के बाद तहलका मच गया है । इस बारे में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लेते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष को नोटिस जारी किया है । केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को चिट्ठी लिखकर पूछा गया है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को शिकायत मिली है कि समावेश को लेकर जागरूक करने के लिए पश्चिम बंगाल में स्कूल खुलने के बाद समलैंगिक संबंधों पर 8 शॉर्ट फिल्में दिखाई जाएंगी । नोटिस में कहा गया है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड कृपया 10 दिनों के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दें कि क्या चयनित फिल्मों ने राज्य में स्क्रीनिंग के लिए प्रमाणन प्राप्त किया है या नहीं। अगर, हां तो चयनित फिल्मों को किस श्रेणी का प्रमाणन प्रदान किया गया है ।
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10 दिनों के अंदर मांगा स्पष्टीकरण
बता दें कि युवा फिल्म निर्माताओं द्वारा समलैंगिक संबंधों पर बनाई गई आठ लघु फिल्मों को प्रयासम के ‘बैड एंड ब्यूटीफुल वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल’ के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है । योजना के मुताबिक पश्चिम बंगाल में शैक्षणिक संस्थानों के फिर से खुलने के बाद कई स्कूलों में ये फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी । राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा कि उसे रिपोर्ट पर शिकायत मिली है और राज्य से 10 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है ।
युवाओं को सशक्त करने के लिए बनाई जा रही है फिल्म
फिल्म बनाने वालों के बारे में कहा जा रहा है कि यह संगठन एक ऐसा माहौल बनाने का दावा करता है जिसमें युवा सशक्त महसूस करें । जिन लोगों ने ये फिल्में बनाई हैं, वे हैं- सलीम शेख, मनीष चौधरी, सप्तर्षि रॉय और अविजीत मरजीत। ये सभी नजरूल पल्ली के महिषाबाथन स्थित डाकिदारी में रहते हैं । यह इलाका राजधानी कोलकाता में ही स्थित है । ये सभी प्रयास विजुअल बेसिक्स एशिया के बेसिक फिल्म स्टूडियो के छात्र हैं, जो एडोब नामक कंपनी द्वारा समर्थित है । उनका कहना है कि इन लघु फिल्मों को बच्चों को दिखाकर ‘समावेशी शिक्षा’ को बढ़ावा देना है । ‘प्रयासम’ के निर्देशक प्रशांत रॉय ने कहा कि ये लघु फिल्में खुलते ही स्कूलों में बच्चों को दिखाई जाएंगी ।
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