सत्यखबर, लखनऊ
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में अदालत ने पूर्व मंत्री और उसके साथियों को दोषी करार दिया है । अब इस मामले में सजा 12 नवंबर को सुनाई जाएगी। साथ ही सबसे बड़ा सवाल यह है कि रेप पीड़िता कहां है? दरअसल, पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके करीबी रिश्तेदारों पर गैंगरेप का आरोप लगाते हुए पीड़िता और उसका परिवार करीब एक साल से चित्रकूट में नहीं है और उसके घर पर ताला लगा हुआ है । इस मामले में पड़ोसियों और रिश्तेदारों सभी का कहना है कि उनके पास अभी तक पीड़िता के बारे में कोई जानकारी नहीं है । इन लोगों ने बताया कि जब से लखनऊ में अधिवक्ता की ओर से पीड़िता के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है, तब से वह घर में नहीं है । चित्रकूट के सीतापुर कस्बे की रहने वाली पीड़िता ने गायत्री प्रसाद प्रजापति पर खुद और नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था । घटना की लोकेशन लखनऊ होने के कारण वहां भी मामला दर्ज किया गया था । पीड़िता के खिलाफ दिल्ली और लखनऊ में दो मामले भी दर्ज हैं और इनमें से एक मामला पीड़िता के अधिवक्ता ने ही दर्ज कराया था ।
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हमीरपुर में रह रही है पीड़िता
फिलहाल बताया जा रहा है कि मामला दर्ज होने के बाद से पीड़िता को यहां नहीं देखा गया है । जबकि इस परिवार को जानने वालों के अनुसार पीड़िता की बेटी हमीरपुर के राठ में रह रही है । महिला की दो बेटियां और एक बेटा है और वह पति से अलग रहती है । जबकि पति भी अपने भाई के साथ अलग से रहता है । दरअसल, इस मामले ने नया मोड़ तब लिया जब रेप पीड़िता की मां ने अपना बयान बदल दिया और बाद में गायत्री के पक्ष में बयान दे दिया । हालांकि, तब उनकी बेटी गायत्री के खिलाफ बयान बदलने को तैयार नहीं थी । उसने गायत्री के खिलाफ बयान दिया था । हालांकि, बाद में बेटी भी इस मामले में चुप हो गई।
पूर्व निदेशक ने लगाए थे आरोप
दरअसल गायत्री प्रजापति ने भी इस मामले में पीड़िता के खिलाफ साजिश रची थी । बृजभुवन चौबे पर दबाव बनाकर उनकी कंपनी के पूर्व निदेशक ने जबरन दुष्कर्म पीड़िता के नाम पर उजरियाव में अपना कीमती प्लॉट रजिस्टर्ड करवा लिया था । बृजभुवन उस समय चुप रहे लेकिन गायत्री के जेल जाने के बाद उन्होंने गोमतीनगर एक्सटेंशन में गायत्री प्रजापति और उनके बेटे अनिल के खिलाफ इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराई । चौबे ने यह भी आरोप लगाया था कि गायत्री प्रसाद प्रजापति उन्हें और उनके बेटे अनुज की हत्या कर सकते थे और इस संबंध में चौबे ने पुलिस से सुरक्षा की मांग भी की थी । जबकि पुलिस उससे यह पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि बिना उसकी सहमति पंजीकरण कैसे किया गया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि एक जमीन बेचने के लिए मिले पैसे भी पीड़िता को दिए गए थे । इस दौरान कोरोना इंफेक्शन के कारण बृजभुवन चौबे की मौत हो गई थी ।
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