सत्यखबर, जींद,अशोक छाबड़ा
बरोदा में आने वाले दिनों में होने वाले उपचुनाव पर राजनीति होनी शुरू हो गई है, क्योंकि इस उपचुनाव पर राजनीतिक दलों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू कर दिया है। मंगलवार को चंडीगढ़ में प्रेसवार्ता करते हुए कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के बीच बरोदा उपचुनाव के चलते हरियाणा सरकार के मंत्री और नेता 10 दिन से वहां जाकर कार्यक्रम कर रहे हैं।
दीपेंद्र ने सरकार के खिलाफ खोला आरोपों को मोर्चा
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार प्रदेश को बचाने की बजाए,अपनी कुर्सी को बचाने में लगी हुई है। सांसद संजय भाटिया,कृषि मंत्री जेपी दलाल,बिजली मंत्री रणजीत सिंह वहां जाकर कार्यक्रम कर रहे हैं। संक्रमण काल के दौरान जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों पर रोक लगा रखी है तो ये बरोदा में कार्यक्रम कर रहे हैं। दीपेंद्र ने कहा कि भाजपा सरकार को बीते 6 वर्ष में कभी बरोदा विधानसभा की याद नहीं आई। क्या तब बरोदा हरियाणा के मानचित्र पर नहीं था। सीएम कभी वहां नहीं गए,उनका कोई मंत्री कभी वहां नहीं गया। अब संक्रमण काल में वहां जा रहे हैं और वहां के लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दीपेंद्र ने चेतावनी दी है कि उपचुनाव में बरोदा की जनता उन्हें मुंहतोड़ जवाब देगी। इसके बाद भाजपा और जजपा की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। दीपेंद्र हुड्डा ने प्रेसवार्ता के दौरान बेरोजगारी, किसानों की फसल खरीद, शराब घोटाला व अन्य मुद्दों पर भी खुलकर सरकार पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि हम भी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर सकते हैं लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइन और कोरोना काल के चलते हमारी पार्टी अनुशासन में है।
पीटीआइ के समर्थन में उतरी कांग्रेस
हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में केस हारने के बाद नौकरी से निकाले गए 1983 शारीरिक प्रशिक्षकों (पीटीआइ) के समर्थन में कांग्रेस ने मोर्चा खोला है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में भर्ती इन पीटीआइ को कानून बनाकर बहाल करने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चि_ी के साथ कानून का मसौदा बनाकर भेजा है। डिजिटल मोड के जरिये पत्रकारों से रू-ब-रू सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में पीटीआइ की चयन प्रक्रिया में कोई भ्रष्टाचार नहीं पाया गया। न ही चयनित पीटीआइ का कोई कसूर है। ऐसे में चयन प्रक्रिया पूरी करने वाली एजेंसी की खामियों की सजा जिंदगी के इस पड़ाव पर पहुंचे पीटीआइ अध्यापकों को क्यों मिल। सुरजेवाला ने कहा कि मानवीय कारणों,लंबे तजुर्बे व भविष्य में पीटीआइ अध्यापकों की नियुक्ति न करने के नियमों को देखते हुए प्रदेश सरकार विशेष कानून बनाकर इन पीटीआइ अध्यापकों को सेवा में रख सकती है। विधानसभा में बिल आया तो सभी कांग्रेस विधायक इसका समर्थन करेंगे। प्रदेश सरकार पहले तुरंत प्रभाव से अध्यादेश लाए और फिर विधानसभा में इसे पारित कराया जाए।
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