सत्य खबर । चंडीगढ़
बरोदा उपचुनाव के लिए मतदान के बाद अब प्रमुख दलों के नेताओं को 10 नवंबर को आने वाले चुनाव परिणाम का इंतजार रहेगा। असल में इस उपचुनाव को लेकर सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी योगेश्वर दत्त के साथ भाजपा-जजपा गठबंधन के प्रमुख नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। बरोदा में जीत के लिए आश्वस्त प्रदेश भाजपाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ तो शुरू दिन से ही इस उपचुनाव को पार्टी के लिए एक राजनीतिक अवसर मानते रहे हैं मगर चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से मिली चुनौती के बाद प्रदेशाध्यक्ष ने भी अपने वचन बदल लिए।
धनखड़ अब कह रहे हैं कि कोई अवसर बिना बड़ी चुनौती के प्राप्त नहीं होता। प्रदेशाध्यक्ष धनखड़ से अलग उप मुख्यमंत्री और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला से लेकर बरोदा के लिए भाजपा की तरफ से चुनाव प्रभारी बने कृषि मंत्री जेपी दलाल को भी अपनी सार्थकता साबित करनी होगी।
बरोदा उपचुनाव के नतीजे भाजपा और जजपा के प्रमुख जाट नेताओं का आम मतदाताओं में वर्चस्व का आधार भी तय करेंगे। दुष्यंत चौटाला इस उपचुनाव में न सिर्फ खुद बल्कि उनकी पार्टी के संरक्षक अजय सिंह चौटाला, छोटे भाई दिग्विजय सिंह चौटाला और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता लगातार प्रचार में जुटे रहे। भाजपा की तरफ से भी चुनाव के दौरान ही टोहाना से जजपा के देवेंद्र बबली से चुनाव हारे तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो का चेयरमैन बनाया गया।
प्रदेश के बिजली मंत्री रणजीत सिंह भी बरोदा हल्के में सक्रिय रूप से प्रचार करते नजर आए। इसके अलावा पार्टी का ऐसा कोई ही शायद जाट व गैर जाट नेता था जो बरोदा में प्रचार नहीं करने गया। इसलिए राजनीतिक दृष्टिकोण से यह माना जा रहा है कि उपचुनाव के नतीजे भाजपा नेताओं के वर्चस्व का आधार भी तय करेंगे।
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