सत्य खबर,नई दिल्ली(ब्यूरो रिपोर्ट)
दिल्ली विधानसभा की नई दिल्ली सीट बीजेपी व कांग्रेस के लिए मशक्कत का सबब बनी हुई है। इस सीट पर सीएम और आप नेता अरविंद केजरीवाल को ही चुनाव लड़ना है, लेकिन अभी तक दोनों पार्टियां इस सीट पर किसी प्रत्याशी को तलाश नहीं पाई हैं। दोनों पार्टी चाहती हैं कि इस सीट पर केजरीवाल को वॉकओवर न दिया जाए, इसलिए वे उन्हें टक्कर का प्रत्याशी देने के लिए खासी माथापच्ची कर रही है। माना जा रहा है कि इस सीट पर दोनों पार्टियां अंतिम वक्त में ही प्रत्याशी का चुनाव कर पाएंगी।
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी और कांग्रेस नेता चाह रहे हैं कि नई दिल्ली सीट पर केजरवाल को ‘व्यस्त’ रखा जाए, इसके लिए ऐसे उम्मीदवार को उतारा जाए जो वहां पर केजरीवाल को बिजी रख सके और वह दिल्ली के अन्य इलाकों में ज्यादा प्रचार न कर पाएं। लेकिन समस्या यह है कि इन दोनों पार्टियों को ऐसा कोई ‘प्रभावी’ नेता ही नहीं मिल रहा है जो केजरीवाल को नई दिल्ली सीट पर ‘बांधे’ रहे। विरोधी पार्टी के नेता मानकर चल रहे हैं कि केजरीवाल ने पिछले दो चुनाव लोगों को भ्रमित कर जीते थे। इसलिए अब उनकी वाकई अग्निपरीक्षा है। उसका कारण यह है कि नई दिल्ली सीट पर मिजाज अन्य सीटों से अलग है और यहां जातीय व अन्य समीकरण बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं है। इस सीट पर सरकारी कर्मचारियों की संख्या अधिक है और वे ही किसी की हार-जीत तय करते हैं।
तो वहीं बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि केजरीवाल के कामकाज की पोल जनता के आगे खुल चुकी है। उन्हें चार माह में विकास की बातें बनाकर लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया है। नई दिल्ली का वोटर खासा सुलझा हुआ है। उसे आम आदमी पार्टी की असली कहानी की जानकारी है, इसलिए इस सीट पर कोई प्रभावी प्रत्याशी मिल जाए तो केजरीवाल को वहां पर बांधा जा सकता है। उन्होंने कहा इसलिए इस सीट पर आलाकमान खासी मशक्कत कर रहा है। इस मसले पर कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि देखते रहिए, इस सीट पर हमारी पार्टी ऐसा उम्मीदवार लाएगी जो केजरीवाल को ‘नाकों चने चबवा’ देगा। यह पूछने पर क्या कोई बाहरी नेता भी हो सकता है, उन्होंने कहा कि केजरीवाल को हराने के लिए कुछ भी किया जा सकता है।
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने बीजेपी प्रत्याशी नूपुर शर्मा 31,583 के बड़े अंतर से हराया था। यहां कांग्रेस प्रत्याशी किरण वालिया को मात्र 4781 वोट ही मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। इससे पहले साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भी केजरीवाल के खिलाफ मुख्यमंत्री शीला दीक्षित 25,864 वोटों से हारी थीं। जबकि बीजेपी प्रत्याशी विजेंद्र गुप्ता को 26,317 से हारकर तीसरे नंबर पर रहे थे। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी इस सीट से किसी छात्र नेता या पहाड़ी को चुनाव लड़ा सकती है, जबकि कांग्रेस किसी बाहरी व्यक्ति को टिकट देने पर विचार कर रही है। फिलहाल केजरीवाल के उम्मीदवार होने के चलते इस सीट पर मुकाबला देखने लायक तो होगा ही।
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