सत्यखबर फतेहाबाद (जसपाल सिंह) – विधानसभा सीट के लिए टिकट वितरण भाजपा के बाद कांग्रेस के लिए भी चुनौती बन गया है। पूरे प्रदेश की 90 में से 78 सीटों पर टिकट घोषणा भाजपा कर चुकी है, मगर फतेहाबाद पर अभी तक भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वजह स्पष्ट है हाईकमान टिकट वितरण के मामले में किसी प्रकार का विवाद नहीं चाहते। एक ओर टिकट के प्रबल दावेदार और पूरे आरएसएस नेता भारत भूषण मिढ़ा उर्फ बंटू भैया हैं और दूसरी ओर कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व संसदीय सचिव दुड़ाराम हैं। दुड़ाराम की कुंडली देखें तो पिछले 2 दशक से वे सक्रिय राजनीति कर रहे हैं।
दुड़ाराम अपने राजनैतिक करियर में मात्र एक ही चुनाव जीत पाए हैं। जबकि 2014 का चुनाव वे हजकां से लड़े थे और करीब 58 हजार वोट समेट कर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं दो दशकों से भाजपा का झंडा बुलंद रखने वाले भारत भूषण मिढ़ा भाजपा और आरएसएस में अपना अच्छा खासा रसूख रखते हैं और फतेहाबाद विधानसभा की टिकट के प्रबल दावेदार भी हैं। भारत भूषण मिढ़ा दो बार मीडिया के सामने आ कर टिकट को लेकर अपना रूख स्पष्ट कर चुके हैं। जिस प्रकार से टिकट को लेकर मिढ़ा मुखर नजर आ रहे हैं उससे देखकर लगता है कि हाईकमान भी मिढ़ा को नजरअंदाज नहीं करना चाहेंगे। किन्हीं परिस्थितियों के कारण हाइकमान अगर दुड़ाराम को टिकट देकर भेजते हैं तो पुराने भाजपाईयों का मनोबल गिरने के साथ-साथ भीतरघात की गुंजाइश भी बढ़ जाएगी।
उधर कांग्रेस भी टिकट को लेकर पेशोपेश में साफ नजर आ रही है। चौ. दुड़ाराम के भाजपा मे जाने के बाद माना जा रहा था कि पूर्व सीपीएस प्रहलाद सिंह गिलाखेड़ा का रास्ता साफ हो गया है, मगर दिल्ली में टिकट को लेकर मंथन करने के दौरान जो कुछ हुआ उससे लगता है कि कांग्रेस की राह भी फतेहाबाद में आसान नहीं हैं। प्रहलाद सिंह गिलाखेड़ा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खासमखास माने जाते हैं, इसलिए हुड्डा गुटा का सॉफ्ट कार्नर उनके साथ हो सकता है। वहीं इलाके के पूर्व सांसद एवं प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर गुट भी पूरी तरह से एक्टिव रहा है।
इसलिए संवभत: उनका प्रयास रहेगा कि सिरसा संसदीय क्षेत्र की सीटों पर टिक उनके समर्थकों को मिले और बीती रात दिल्ली में तंवर समर्थकों द्वारा कथित तौर पर किए गए हो हल्ले के बाद यह संभावना बलवती हो गई है। खैर कांग्रेस और भाजपा की टिकट भले किसी के पास जाए फतेहाबाद की जनता के लिए जब टिकट वितरण ही रोचक विषय बना हुआ है तो चुनाव कितना रोचक होगा अंदाजा लगाना बड़ा ही सहज है।
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