सत्यखबर, चढ़ीगढ़
बता दे की बीजेपी पार्टी के सांसदों का कहना है कि तीन कृषि विधेयकों को लेकर पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन के पीछे कांग्रेस है और हरियाणा में भी कांग्रेस ही ऐसा करवा रही है। इन सांसदा का कहना है कि सियासी दल सिर्फ विरोध के लिए इन विधेयकों पर किसानों को भडका रहे हैं और आंदोलन करा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मनोहर लाल सरकार ने मार्केट फीस कम करके आढ़तियों और किसानों के इस आशंका को दूर कर दिया है कि मंडी व्यवस्था नहीं रहेगी। इससे कांग्रेस की काली दाल नहीं गल रही है। केंद्र सरकार द्वारा समय से पहले रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करने के पीछे भी यही उद्देश्य था कि किसानों का यह भ्रम दूर हो जाए कि आने वाले समय में एमएसपी खत्म हो जाएगा।
भाजपा सांसदों और नेताओं का कहना है क विपक्ष की तरफ से कहा जा रहा है कि ये विधेयक किसानों को उद्योगपतियों के खिलाफ कोई न्यायिक सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं। हालांकि तथ्य यह है कि ये विधेयक किसानों को एक ऐसा विवाद निवारण तंत्र उपलब्ध कराते हैं जहां किसान किसी भी विवाद की स्थिति में अपने सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट के पास जा सकता है।
सांसदोंका कहना है कि कोई भी राशि बकाया होने की स्थिति में किसानों की जमीन पर कोई भी कार्रवाई करने का अधिकार भी ये विधेयक नहीं देते, बल्कि इस संबंध में किसानों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। एक आशंका यह भी जताई जा रही है कि ये विधेयक किसानों को उनकी जमीन में बंधुआ मजदूर बना देंगे और किसानों की जमीन उद्योगपतियों की हो जाएगी। वास्तविकता यह है कि ये विधेयक किसानों की जमीन को बेचने, लीज पर देने पर और किसानों को बंधक बनाने पर रोक लगाएंगे। जमीन के मालिकाना हक या किसान के जमीन में स्थायी बदलाव पर रोक लगाएंगे।
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