सत्य खबर जींद, महाबीर मित्तल: दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकर्ता शिविर में भाग लेकर लौटे राजेश खर्ब ने बताया कि भारतीय जन संसद से जुड़े लोगों का मानना है कि देश का भविष्य किसी भी राजनीतिक पार्टी के साथ उज्जवल नहीं है। सब राजनीतिक पार्टियां पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा कमाने की होड़ में लगी हैं। कोई भी पार्टी आजादी और लोकतंत्र के विचार पर नहीं चलती। विपक्ष में रहते सबको ग्रामीण भारत एवं किसान की याद आती और सत्ता में आते ही वह लोग जो जनता का सेवक होने का दम भरते हैं निरंकुश शासक बन जाते हैं। समाजसेवी अन्ना हजारे ने राष्ट्रीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जन संसद को इतना मजबूत बनाओ कि वह सरकार की नाक दबाए तो सरकार का मुंह खुल जाए। राष्ट्रीय कार्यकर्ता सम्मेलन में लगभग 17 राज्यों के 86 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। 2 दिन चले मंथन शिविर विचार विमर्श करने के बाद एक राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया। अन्ना हजारे ने सरकार को चेतावनी हुए कहा कि असल भारत गांव में बसता है और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने ग्राम स्वराज्य का सपना देखा था और हमारी व्यवस्था आज़ादी के बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा कमाने के चक्कर में पक्ष और विपक्ष के मध्य उद्योगपतियों के चुंगल में फंस कर रह गई है। इस प्रकार की व्यवस्था में राजनेताओं को जनता की याद केवल विपक्ष में रहते आती है और सत्ता में आते ही अपने उद्योगपति मित्रों की कठपुतली बन कर रह जाते हैं इसमें चाहे कांग्रेस पार्टी हो भारतीय जनता पार्टी हो या अन्य कोई दल किसी के साथ देश का भविष्य सुरक्षित नहीं है यदि हमें देश को बदलना है तो व्यवस्था को बदलना होगा। जन संसद के माध्यम से राजनीतिक पार्टियां पर नकेल कसनी होगी।
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2011 में लोकपाल आंदोलन में हमने इसी संकल्प के साथ एक टीम बनाई थी। लेकिन बाद में कुछ लोग राजनैतिक महत्वाकांक्ष के चलते टीम से बाहर हो गए और कोई मुख्यमंत्री, कोई राज्यपाल तो कोई मंत्री बन गया जिससे देश का बड़ा नुक्सान हुआ। अन्ना हजारे ने कहा इस समय कुछ लोग मेरी बुराई कर रहे हैं लेकिन मैं ध्यान नहीं देता मेरा कार्य समाज और देशहित के लिए कार्य करते रहना है यह देश किसानों का है और जो किसान का नहीं वह किसी का नहीं अर्थात् देश का कैसे हो सकता है मेरा किसी राजनीतिक पार्टी से कोई संबंध नहीं है मैं सिर्फ समाज और देश की तरफ देखता हूं। देश के विभिन्न हिस्सों में आए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के 74 वर्षों बाद भी देश की हालात ठीक नहीं है फर्क सिर्फ इतना है आजादी से पूर्व हमें विदेशी लूटते थे और अब हमें अपने ही लोग लूट रहे हैं। इसलिए पूरे देश में चरित्र आधारित सामाजिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखने वाले दृष्टिकोण रखने वाले कार्यकर्ताओं का जन संगठन ही एक रास्ता है। जन संसद मजबूत हुई तो ऐसी कोई सत्ता नहीं जो 1 वर्ष से दरवाजे पर बैठे किसानों की बात न सुने उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि जन संसद को इतना मजबूत करो कि वह नरेन्द्र मोदी जैसी सत्ता को भी नकेल डाल सकें।
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हम कई वर्षों से किसानों की समस्याओं के लिए लड़ रहे हैं। 23 मार्च 2018 और 30 जनवरी 2019 में मैंने आंदोलन किया और वर्तमान किसान आंदोलन को भी मेरा समर्थन है। लेकिन सरकार किसानों की समस्याओं पर गंभीर नहीं है। कृषि उपज पर सी2$50प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य किसान का हक है। जिसका चुनाव से पूर्व सरकार ने वादा और चुनाव के बाद भी लिखित आश्वासन दिया था लेकिन अब भी किसान इससे वंचित है। जिसके लिए हमें चल रही लड़ाई में बढ़-चढ़कर साथ देना होगा। राजेश खर्ब ने बताया कि दो दिवसीय कार्यकर्ता शिविर में जनहित के कई मुद्दो पर विचार विमर्श किया गया जिसमें पुरानी पैंशन नीति, सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर नियमित भर्ती, विभागों में बढ़ते निजीकरण और ठेका प्रथा पर रोक लगाने की भी बात की गई। विभिन्न विभागों में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कार्यकर्ताओं से विशेष सहयोग की अपील की गई। मंच विचार पर सांझा करने वाले वक्ताओं में मुख्य रूप से महाराष्ट्र से कल्पना इनामदार, हरियाणा से सुखदेव विर्क, प्रोफेसर शमशेर ढांडा, दलबीर रेढू, कंवर सिंह, पवन बिरौली, उतर प्रदेश से प्रवीण भारती, मोनिका वकील, दिल्ली से जगदीश सोलंकी, देवराज मलिक, कृष्ण डागर, आसाम से विष्णु प्रसाद, राजस्थान से रामपाल, जोगेन्द्र पारेख, बिहार से धीरेन्द्र टुडे, मध्य प्रदेश से योगेन्द्र, कर्नाटक से दयानंद पाटिल, पंजाब से बलवीर चीका एवं बिहार से संजय सिसोदिया ने भी सांझा किया।
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