सत्य खबर
प्रदेश सरकार ने महिला पुलिस थानों के अधिकारियों में संशोधन कर बढ़ोतरी की गई है। कई ऐसी धाराएं हैं, जो महिला से जुड़ी होने के बावजूद महिला पुलिस थानों के लिए जारी नोटिफिकेशन में शामिल नहीं की गई थी। अब होम सेक्रेटरी रहे विजय वर्धन के नाम से जारी नोटिफिकेशन में शामिल की गई हैं। क्योंकि नोटिफिकेशन में जिन धाराओं की पावर महिला पुलिस थानों को नहीं दी थी, उनके खिलाफ आरोपी कोर्ट में चुनौती दे सकते थे।
यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के ही एडवोकेट हेमंत कुमार ने उठाया था। बता दें कि प्रदेश में 15 अगस्त 2015 को महिला पुलिस थानो की शुरुआत की गई थी। जिलों में महिलाओं से जुड़े मामले इन्हीं थानों में रेफर होते हैं। पुराने नोटिफिकेशन में बाल विवाह निषेध के लिए संबंधित बाल विवाह (अवरोध) अधिनियम, 1929 का उल्लेख था। नवंबर-2007 से केंद्र ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 को लागू किया था। अब इसका उल्लेख किया है।
इन धाराओं से पीड़ित को क्या लाभ होगा
फरवरी, 2013 से दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013 द्वारा आईपीसी में महिलाओं के शारीरिक और यौन शोषण संबंधित शामिल किए गए अन्य धाराओ जैसे धारा-354 में 354-ए, 354-बी, 354-सी और 354-डी आदि का भी उल्लेख भी पहले के नोटिफिकेशन में नहीं था। ये धाराएं निर्भया कांड के बाद कानून में नई जोड़ी गई थी। अब इन धाराओं की पावर भी महिला थानो को दी गई है। इन धाराओं में महिलाओं का पीछा करना, तंग करना, निर्वस्त्र करना, फोटो लेना आदि अपराध आते हैं।
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2018 में लागू की नई उपधाराओं की पावर भी अब दी गई
महिला पुलिस थानों की नोटिफिकेशन में 21 अप्रैल 2018 से आईपीसी में दंड विधि (संशोधन) अधिनियम-2018 द्वारा बलात्कार के दंड से संबंधित धारा 376 में जोड़ी गई नई उपधाराएं भी नहीं थी। जिनमें 376-एबी , 376-डीए और 376-डीबी आदि हैं। इनके तहत 12 वर्ष और 16 वर्ष की आयु से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने पर सजा का प्रावधान है। अब ये भी जोड़ी गई हैं।
नोटिफिकेशन के अनुसार ही कर सकते हैं कार्रवाई
एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि जैसे पुलिस थाने अधिकार क्षेत्र के अधीन होने वाली घटनाओं को लेकर केस दर्ज कर जांच में सक्षम हैं, उसी प्रकार महिला पुलिस थानों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें महिला पुलिस थानों के लिए स्पष्ट किया था कि आईपीसी-1860 के तहत कुछ विशेष धाराओं में कार्रवाई कर सकते हैं। कुछ धाराएं नोटिफिकेशन में नहीं थी। अधिकार न होने पर अपराधी उसका फायदा उठा सकते हैं। नई धाराएं जोड़ दी हैं।
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