सत्य खबर । चंडीगढ़
विधानसभा में कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद ही प्राइवेट मैंबर बिल लाया जा सकता है और सत्र शुरू होने से 15 दिन पहले विधानसभा के समक्ष यह बिल देना होता है ताकि कानूनी विशेषज्ञों की राय के लिए आगे भेजा जा सके।विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने यह जानकारी कृषि कानूनों के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से पांच नवम्बर को शुरू होने जा रहे मानसून-सत्र में प्राइवेट बिल लाने के सवाल के जवाब में दी।
उन्होंने बताया कि विधानसभा में विधायक की ओर से बिल देने के बाद उसे विधि विभाग को भेजा जाता है और विधि विभाग की ओर से उसे एलआर के पास भेजा जाता है ताकि यह पता चल सके कि बिल कानूनी तौर पर ठीक है या नहीं। उन्होंने बताया कि कानूनी रूप से ठीक होने की स्थिति में एलआर बिल को संबंधित विभाग को भेजता है और संबंधित विभाग उसे विधानसभा के पास भेजता है, ऐसे में कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद ही प्राइवेट मैंबर बिल विधानसभा में लाया जाता है।
जजपा विधायक राम कुमार गौतम की ओर से एक कमेटी से त्यागपत्र देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि विधायक कई कमेटियों में सदस्य होते हैं लेकिन कुछ विधायक किसी कमेटी में रहना नहीं चाहते, जिसके चलते वह उसे छोड़ देते हैं ताकि उसे दूसरी कमेटी में शामिल किया जा सके। गौतम भी उक्त कमेटी के आमंत्री सदस्य थे और उन्होंने इच्छा जताई थी वह इस कमेटी में रहना नहीं चाहते।
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विधानसभा में प्रश्नकाल के सवाल पर उन्होंने बताया कि इस बार सत्र के लिए विधायकों की तरफ से 370 तारांकित प्रश्न व 87 अतारांकित प्रश्न विधानसभा को प्राप्त हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि 34 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव तथा 4 काम रोको प्रस्ताव भी प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि पहले सत्र में 2 विधेयक लाए थे, जिसमें एक विधेयक पेश हुआ और दूसरा पेश ही नहीं हो पाया। आगामी सत्र में इन विधेयकों पर चर्चा की जाएगी।
वहीं गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जिस तरह से विधानसभा में प्राइवेट मैंबर बिल लाने की बात कह रहे हैं, वह संवैधानिक ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने यह बिल लाकर किसानों के साथ धोखा किया है और अब हरियाणा कांग्रेस भी किसानों के साथ धोखा करना चाहती है।
विज ने कहा कि जब केंद्र सरकार की ओर से कोई कानून पास किया जाता है और उस पर राष्ट्रपति की मोहर लग जाती है और राज्य विधानसभाओं को उन कानूनों को निरस्त करने का कोई अधिकार नहीं है।
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