सत्य खबर, नई दिल्ली
दिल्ली-NCR (Delhi-NCR) में उद्योगों के कारण यमुना नदीं (Yamuna River) में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. यमुना को प्रदूषित करने के लिए गाजियाबाद (Ghaziabad) के क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 42 जींस डाई और वॉशिंग फैक्ट्रियों पर साढ़े चार करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. ये सभी फैक्ट्रियां लोनी के रूपनगर और आर्यनगर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित हैं. इसमें कई फैक्ट्रियों पर न तो संचालन का लाइसेंस था और न ही इन्होंने प्रदूषण विभाग से एनओसी ली थी. फैक्ट्रियों से नालों में जो गंदा पानी जा रहा था, वह सीधे यमुना नदी में जाकर गिर रहा था. दरअसल, दिल्ली के आरटीआई एक्टिविस्ट वरुण गुलाटी ने अपना सर्वे करने के बाद गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में डाइंग इकाइयों द्वारा प्रदूषण फैलाने की शिकायत की थी.
वरुण गुलाटी ने बताया कि क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उनकी आरटीआई का जवाब अब दिया है. इसमें 42 इकाइयों पर साढ़े चार करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की जानकारी दी है. आरटीआई में वरुण गुलाटी ने ट्रोनिका सिटी इलाके में चल रही फैक्ट्रियों के प्रदूषण पर भी जवाब मांगा था, जो अभी तक नहीं मिला है. वरुण के अनुसार, फैक्ट्रियों से पानी विदआउट ट्रीटमेंट सीईटीप में जा रहा है. सीईटीपी इस पानी को बिना ट्रीटमेंट किए जावली ड्रेन में भेज रहा है और वहां से यह पानी हिंडन नदी में डाला जा रहा है.
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इन फैक्ट्रियों पर लगा 4 करोड़ का जुर्माना
निर्दोष डाइंग एंड वॉशिंग, एसके इंडस्ट्रीज, प्रिंस डाइिंग, एलके लॉन्ड्री, नागपाल ट्रेडर्स, लेटेक्स वॉश, दिलीप डाइंग, एआर सुप्रीम, आरआर डाइंग, विनय डाइंग एंड वॉशिंग, मलिक डाइंग, सिड्रा वॉशिंग, शिवानी डाइंग, एमके वॉशिंग एंड डाइंग, केआर वॉशिंग, एसएके डाइंग, वॉइस इंडिया उद्योग, राद्ये रमन डाइंग, वंशिका डाइंग, रमेश डाइंग, एसजी रबर इंडस्ट्री, सनसाइन डाइंग, एएन फेब्रिक डायर्स, स्टार इंटरप्राइजेज, सुपर फाइन वॉश, सिंपल डाइंग एंड वॉशिंग, टीना डाइंग, जेडए वॉशिंग, वीएस डाइंग, अनिता डाइंग एंड प्रोसेसिंग, पूजा डाइंग, सोलंकी डाइंग, शर्मा वॉशिंग वर्क्स, पवन डाइंग, उमर डाइंग, स्वाष्तिक वॉशिंग, एलिना वॉशिंग वर्क, श्री कृष्णा आर्ट, विवेक डाइंग, शहनाज वॉशिंग और भगवती कलर इंपैक्स पर 4 करोड़ 49 लाख 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है.
दिल्ली में सख्ती के बाद गाजियाबाद पहुंची ये फैक्ट्रियां
दिल्ली की शिव विहार कॉलोनी में साल 2017-2018 में हाईकोर्ट के आदेश पर दिल्ली सरकार ने बड़ी कार्रवाई की थी. 239 डाई फैक्ट्रियों को सील कर दिया गया था. उनके बिजली-पानी के कनेक्शन काट दिए गए थे. कहा जा रहा था कि इन फैक्ट्रियों के दूषित पानी से इलाके में कैंसर जैसी घातक बीमारी बढ़ गई है. दिल्ली सरकार और हाईकोर्ट की सख्ती के बाद शिव विहार कॉलोनी की तमाम इंडस्ट्रियां उससे सटे गाजियाबाद के लोनी में शिफ्ट हो गई थीं.
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