सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान):-
योग मन, शरीर और आत्मा को जोडऩे की क्रिया है। भारत के मनीषियों ने अपनी साधना से प्रकृति और पशुओं का गहन अध्ययन करते हुए योग विद्या विकसित की। यह एक जीवन को जीने की कला है। महर्षि पंतजलि ने इस विद्या को चरम तक पहुंचाया। योग किसी धर्म विशेष से जुडा नहीं है। आधुनिक युग मे वैज्ञानिकों ने भी इसकी महत्ता को सिद्ध किया है। यह बात समाजसेवी अचल मित्तल ने युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की बधाई देते हुए इसकी महत्ता के बारे में बताते हुए कही। छठे योग दिवस पर युवा साधकों ने रतन वाटिका में योगाभ्यास किया। इस अवसर पर बुलबुल, कीर्ति, गौरव, तुषार, सिद्धार्थ, माधव, डा. गीत इत्यादि युवाओं ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया।
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