कोरोना योद्धा के तौर पर दिया गया है उन्हें यह राष्ट्रीय सम्मान
पूरे देश से कोरोना योद्धाओं का किया गया था चयन
अवार्ड मिलने वालों में कई बालीवुड हस्तियां भी हैं शामिल
सत्यखबर, जींद: विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े जाने माने सोशल एक्टीविस्ट राजकुमार गोयल को राष्ट्रीय अनमेचड स्पोर्टर आभार अवार्ड 2020 से नवाजा गया है। उन्हें यह राष्ट्रीय सम्मान कोरोना योद्धा के तौर पर दिया गया है। यह अवार्ड मिलने वालों में कईं बालीवुड हस्तियां भी शामिल हैं। गोयल को मिले इस सम्मान पर जींद की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने ख़ुशी जताई है और कहा है की गोयल वास्तव में इसके हकदार थे। ट्रेंडस्पायर सोलूशन नामक संस्थान ने पूरे देश से कोरोना योद्धाओं का चयन किया जिसमें बालीवुड के सितारें, प्रशासनिक अधिकारी, डाक्टर्स, मीडिया, सोशल एक्टीविस्ट शामिल किए गए। सोशल मीडिया, फेसबुक, टवीटर, इंस्टाग्राम और विभिन्न समाचार पत्रों और मीडिया में कोरोना योद्धा के तौर पर दिखाई गयी विभिन्न खबरों के माध्यम से इन कोरोना योद्धाओं का चयन किया गया। जिन कोरोना योद्धाओं का इस आभार अवार्ड के लिए चयन हुआ उनमें बालीवुड एक्टर्स हिमानी शिवपुरी, बालीवुड एक्टर राजममुराद, हरियाणा के एडीजीपी श्रीकांत जादव, हरियाणा के प्रमुख एक्टीविस्ट डा. राजकुमार गोयल, प्रमुख शिंगर दीपास रहल, आसाम के डीआईजी रेलवे एबीयू सूफीयान, गुवाहटी से सोशल एक्टीविस्ट डा. आशमा बेगम इत्यादि प्रमुख हैं। इन हस्तियों ने कोरोना योद्धा के तौर पर जो काम किये वह काबिले तारीफ है। इनके द्वारा किए गए कार्य समाज को प्रेरणा देने का काम करेंगे। राजकुमार गोयल ने भी कोरोना योद्धा के तौर पर काम किया। वे लोक डाउन के दौरान लगातार प्रवासियों के सम्पर्क में रहे। उनके हर दुख दर्द को सांझा किया। जहां उनके खाने पीने का पूरा ध्यान रखा वहीं उनके बीच रहकर सुख दुख भी सांझा किया। कई प्रवासियों को उनके प्रदेश तक पहुंचाने में सहायता की तो कई प्रवासियों के पैरो में पड़े छालों के दर्द को कम करने का प्रयास किया। मुरादाबाद से आए 80 साल के एक बुजुर्ग को जो इस लोक डाउन के दौरान अपने परिवार से बिछुड़ गया था, उसके परिवार से मिलाने का काम किया। इसके अलावा केरला से आई एक महिला प्रवासी को उसकी ईच्छा के अनुसार अलग से शेल्टर की व्यवस्था करवाई। पूरे लोकडाउन के दौरान एक दिन भी ऐसा नहीं था जिस दिन राजकुमार गोयल ने प्रवासियों के बीच जाकर अपने हाथों से अलग अलग तरह की रिफरेशमेंट न दी हो। कभी फ्रूट का प्रसाद तो कभी मिठाई का प्रसाद तो कभी ब्रेड पकोड़ों और लडुओं का प्रसाद। इसके इलावा प्रवासियों के साथ जो बच्चे आये हुए थे उनको कभी खिलोने तो कभी पढ़ने की पुस्तकें भेंट किये। जब प्रवासी यहाँ से वापिस जाने लगे तो प्रवासियों का कहना था की एक गोयल आते थे उनकी बड़े सेवा करते थे उनको हम जाने के बाद भुला नहीं पाएंगे।
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