सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
श्रीरामा भारतीय कला केन्द्र द्वारा संचालित रामलीला के सातवें दिन समाजसेवी डा. सुदर्शन सिंगला ने आरती कर रामलीला का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा रामायण और रामचरितमानस महज एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, अपितु ये ज्ञान के अथाह सागर है। ये हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं। मंचन में भरत का अयोध्यापुरी लौटना, भरत का वनगमन, भरत-निषाद वार्ता, राम भरत मिलाप, शूर्पनखा कथा व खरदूषण वध प्रमुख रहे। रामायण के सबसे सुंदर प्रसंग राम-भरत मिलाप के दृश्यों ने दर्शकों के मन को छू लिया। अश्रुपूर्ण विनती के पश्चात भी राम वचन मे बंधे हुए अयोध्या लौटने को तैयार नहीं हुए और भरत राम की चरण पादुकाएं लेकर वापिस आ जाते हैं और कहते हैं कि ये पादुकाएं ही चौदह वर्षों तक राम का प्रतीक बनकर शासन करेगी। इसके अतिरिक्त खरदूषण द्वारा राम पर आक्रमण करने पर राम उन्हें मार देते हैं। इस अवसर पर भारत भूषण गर्ग, अचल मित्तल, कुलदीप, संजय रोहिल्ला, रामकुमार, संजय चौधरी, अवधेश शर्मा, सुदर्शन दीवान, रिंकू बडनपुर, निखिल गर्ग, राजकुमार इत्यादि गणमान्यों सहित सैकड़ों दर्शको ने रामकथा का रसपान किया।
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