सत्यखबर दिल्ली (ब्यूरो रिपोर्ट) – राहुल गांधी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हम किसानों को सही दाम दिलवा रहे हैं, मदद कर रहे हैं। देश में जो बीजेपी नरेन्द्र मोदी की सरकार है, वो ये नहीं बता पा रही है कि उन्होंने हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था की धज्जियाँ क्यों उड़ाई? पहले पूरी दुनिया में माना जाता था कि इकॉनमिक ग्रोथ में चीन और हिंदुस्तान एक साथ आगे तेजी से बढ़ रहे हैं। आज पूरी दुनिया में कहा जा रहा है कि हिंदुस्तान में हिंसा हो रही है। महिलाओं को यहाँ पर सड़कों पर नहीं चलने दिया जा रहा है और बेरोजगारी 45 साल में सबसे ज्यादा है, मतलब नरेन्द्र मोदी इसके बारे में समझा नहीं पा रहे हैं, शायद उनको भी समझ नहीं है कि हुआ क्या, कैसे हुआ? पहले मजाक उड़ाते थे और अब प्रधानमंत्री का जो काम है वो कर नहीं पा रहे हैं।
इकॉनमी के नीचे जाने का सबसे बड़ा कारण है नोटबंदी। शोषितों को आप जब तक साथ लेकर नहीं चलेंगे तब तक देश का विकास नहीं होगा, गांधी ने कहा कि देश का टाइम जाया किया जा रहा है। नोटबंदी की, किसानों से, मजदूरों से उनका पैसा निकाल दिया। 3 लाख 50 हजार करोड़ रुपए सबसे अमीर 15 लोगों को दे दिये। मार्केट में से पूरा का पूरा पैसा निकल गया, उनकी जेब में गया। कोई कुछ खरीद नहीं रहा है, फैक्ट्रियाँ बंद हो गई, सिंपल इकॉनमिक्स है, इसमें कोई मुश्किल बात नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री को शायद समझ नहीं आ रही है।
गांधी ने कहा कि चाहे एनआरसी हो, चाहे एनपीआर हो, ये हिंदुस्तान के गरीब लोगों पर एक टैक्स है। आप नोटबंदी को समझिए। नोटबंदी हिंदुस्तान के गरीब लोगों पर एक टैक्स था। बैंक में जाइए, पैसा दीजिए, अपने अकाउंट से पैसा नहीं निकालिए और पूरा का पूरा पैसा वहीं 15-20 लोगों को दीजिए, ये भी बिल्कुल वही चीज है। अफसर के पास जाइए, गरीब आदमी जाएगा। अपने कागज दिखाइए, रिश्वत दीजिए। आपका नाम थोड़ा गलत है तो रिश्वत दीजिए। करोड़ों-करोड़ों रुपए हिंदुस्तान की गरीब जनता की जेब में से निकालकर उन्हीं 15 लोगों की जेब में जाएंगे, ये है सच्चाई।
गरीबों पर ये आक्रमण है, सीधी सी बात है। अब गरीब व्यक्ति पूछ रहा है कि भाई, हमें रोजगार कैसे मिलेगा? अर्थव्यवस्था पहले 9 प्रतिशत पर ग्रो करती थी, अब 4 प्रतिशत पर आ गई है वो भी नए तरीके से नाप रहे हैं। अगर हमारे तरीके से नापो, पूराने तरीके से नापो तो ढाई प्रतिशत पर पहुँच गए हैं आप। तो गरीब जनता पूछ रही है कि भईया, आपने हमारी जेब से पूरा पैसा निकाल दिया, मार दिया आपने हमें, मगर हमें क्या मिला?
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