सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – सफीदों की रेलवे आवासीय कालौनी में आजकल किए जा रहे रिनोवेशन एवम रंगरोगन के काम मे लीपापोती का आरोप विभागीय अमले पर लगाते हुए नगर के एक समाजसेवी ने इसकी शिकायत रेल मंत्री को भेजी है। शिकायत मे कहा गया है कि तीन से आठ दशक तक पुरानी दीवारों पर रंग पुताई करके इन्हें दूर से दिखने मे सुंदर बनाया जा रहा है। शिकायतकत्र्ता के अनुसार इसका कारण यह है कि आगामी जनवरी माह मे उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक का वार्षिक निरिक्षण इस पानीपत-जींद-रोहतक रेल शाखा पर होना है जिसकी तैयारी मे ऐसा कुछ किया जा रहा है जिससे निरिक्षण अमले को कुछ अच्छा लगे।
करीब आधी आबाद एक कालोनी मे बिजली-पानी की व्यवस्था भले ही संतोषजनक हो, शौचालय बदहाली मे हैं और निकासी की नालियां रूकी हैं। शौचालयों के टैंक जर्जर हैं जिनमे अनेक के ढक्कन ही नही हैं या टूटे हुए हैं। आरोप है कि निर्माण कार्यों मे गुणवत्ता को नजरंअंदाज किया जा रहा है। कालोनीवासियों को इससे परेशानी है लेकिन वे उच्चाधिकारियों को शिकायत करने की हिम्मत नही जुटा पा रहे हैं। प्रेषित शिकायत के अनुसार करीब दस वर्ष पहले लगभग अस्सी वर्ष पुराने बने क्वार्टरों की डाट वाली छत को तोडकर लैंटर की छत ज्यादातर क्वार्टरों को लगाई गई थी लेकिन ऐसे क्वार्टरों की दीवारें वही अस्सी बरस पुरानी हैं जिनपर पलस्तर झडता रहता है और रोशनदानों की सही व्यवस्था ना होने से गर्मियों मे भारी दिक्कत होती है।
शिकायत मे शंका व्यक्त की गई है कि हो सकता है छत बदलने के काम के साथ इन क्वार्टरों को दोबार से बना हुआ दिखाकर बजट हड़प लिया गया हो क्योंकि निर्माण नियमों मे ऐसा प्रावधान नही है कि किसी भवन की पुरानी दीवारों पर नया लैंटर दे दिया जाए। ये क्वार्टर गैंगमैनों के लिए बने हैं जिनमे रसोई किसी भी क्वार्टर मे उपलब्ध नही है। बताया गया है कि इसी कारण करीब आधे क्वार्टर खाली हैं। इस पर टिप्पणी करते हुए पानीपत से फोन पर रेल विभाग के सम्बन्धित अधिकारी आर.डी. कल्याण ने माना कि सफीदों की रेलवे कालोनी मे अनेक क्वार्टर वर्ष 1935 के दौरान तब के बने हैं जब जींद-पानीपत रेल शाखा चालू हुई थी और उसके बाद कुछ नए क्वार्टर 1985 मे भी बनाए गए और समय-समय पर कुछ की रिनोवेशन भी होती रही। उन्होंने बताया कि जो सुरखित नही हैं ऐसे सात क्वार्टर एबंडंड श्रेणी मे हैं। पुरानी दीवारों की मजबूती की पैरवी करते हुए कल्याण ने कहा कि पानीपत मे तो वर्ष 1835 मे बने अनेक भवन आज भी सही हैं।
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