सत्यखबर हरियाणा (अशोक छाबड़ा) – किलोमीटर स्कीम के तहत बसें सड़कों पर उतारे जाने के बाद अब परिवहन महकमे ने संशोधित स्टेज कैरिज स्कीम -2016 को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी है। परिवहन निदेशक ने आपत्तियां एवं सुझाव लेने के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये प्राइवेट बस ऑपरेटरों,अधिकारियों व सभी यूनियन प्रतिनिधियों के साथ बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। वार्ता का यह क्रम 2 जून तक चलेगा।
हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन संबंधित सर्व कर्मचारी संघ ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए एक सप्ताह की मोहलत मांगी है। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष इंद्र सिंह बधाना,प्रदेश महासचिव शरबत सिंह पूनिया व प्रदेश प्रवक्ता श्रवण कुमार जांगड़ा ने कहा कि महामारी के दौर में ऐसी क्या नौबत आ गई जो अचानक से स्टेज कैरिज स्कीम को आनन-फानन में लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आरोप जड़ा कि पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह जल्दबाजी की जा रही है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में भी स्टेज कैरिज स्कीम-2016 लागू करने की कोशिश की थी। तब रोडवेज कर्मचारी यूनियनों की लगातार चार दिन की हड़ताल के चलते सरकार ने स्टेज कैरिज स्कीम रद करते हुए हाई कोर्ट में शपथपत्र भी दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने स्टेज कैरिज स्कीम 2016 को रद करने या संशोधन करने की छूट दी है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि जल्द ही हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी की आपात बैठक बुलाकर आगामी रणनीति तय की जाएगी।
4 जून को प्रदेश में प्रदर्शन करने का ऐलान
सरकारी विभागों के निजीकरण,ठेका कर्मचारियों को नौकरी से निकालने, श्रम कानूनों में बदलाव और वेतन-भत्तों में कटौती का आरोप लगाते हुए सर्व कर्मचारी संघ ने 4 जून को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर नौकरी से निकाले गए सभी कच्चे कर्मचारियों को वापस सेवा में लेने की मांग की गई। सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा की अध्यक्षता में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये हुई राज्य कार्यकारिणी की मीटिंग में प्रदर्शन का खाका तैयार किया गया।
इस दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा ठेके पर लगे करीब दस हजार सपोटग स्टाफ को निकालने की प्रक्रिया शुरू करने,साल 2015 में 1035 टीजीटी (अंग्रेजी) सहित 1538 पदों की शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया को रद करने की योजना और 1983 पीटीआइ को विधायी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सेवा सुरक्षा प्रदान करने की बजाय दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू करने पर नाराजगी जताई गई। राज्य कार्यकारिणी में 1 जून को बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर द्वारा आयोजित काला दिवस का समर्थन करने का फैसला लिया गया।
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