सत्य खबर, मुंबई
लॉकडाउन के भय के कारण एक बार फिर प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है। ये लोग अपने घर लौटने लगे हैं। मुंबई में लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्टेशन से यूपी जाने वाली ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं है। जनरल डिब्बों में तो लोग एक-दूसरे के ऊपर सवार होकर यात्रा कर रहे हैं। पुणे और नागपुर में भी हालात ऐसे ही हैं। ये ट्रेनें सुपर स्प्रेडर बन सकती हैं और संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है| एलएलटी पर ट्रेनों के जनरल डिब्बों में क्षमता से दोगुने लोग नजर आए। लोग डिब्बों में सही ढंग से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। ज्यादातर का चेहरा मास्क या कपड़े से डका हुआ था, पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन इन स्थितियों में असंभव। भीड़ का आलम यह रहा की यात्रियों को सीटों और फ्लोर पर जगह नहीं मिली तो छतों पर चादर बांधकर बैठ गए।
वहीं लखनऊ जा रहे यात्री दुर्गेश ने कहा बताया की लॉकडाउन की आशंका के चलते काम नहीं मिल रहा है। यहां क्या करेंगे इसलिए वापस जा रहे हैं। काम की तलास में उतर प्रदेश से मुंबई वापस आए राम प्रकाश फिर घर के लिए रवाना हो गए। उन्होंने बताया कुछ दिन एक प्राइवेट कपड़ा फैक्ट्री में काम मिला, लेकिन 4 दिन पहले कंपनी के मालिक ने नौकरी से निकाल दिया। इसके अलावा लॉकडाउन के डर के चलते अब घर लौटने के अलावा कोई चारा नहीं है। वहीं रामानुज यादव ने कहा कि पिछली बार की तरह पैदल घर जाने से बेहतर है कि इस तरह ट्रेन में खड़े-खड़े घर तक का सफर कर लें।
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वहीं लंबी दूरी की गाड़ियों में अचानक बढ़ती भीड़ की एक वजह यूपी का पंचायत चुनाव भी बताया जा रहा है जो उत्तर 14 से 28 अप्रैल तक चार चरणों में होना है। वहीं बढ़ती भीड़ को देखते हुए रेलवे ने अपील की है कि ट्रेनों में टिकट की बुकिंग को लेकर फैल रही अफवाहों से घबराएं नहीं। रेलवे गर्मियों की छुट्टियों में अधिक विशेष ट्रेनें चलाती है। लोगों से अपील है कि वे महामारी की चुनौती को ध्यान में रखते हुए स्टेशनों कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखें।लॉकडाउन के बाद ट्रेनों को कोविड गाइडलाइंस के अनुसार चलाया जा रहा है। नए नियम के मुताबिक, जनरल कम्पार्टमेंट में भी बिना रिजर्वेशन के कोई यात्रा नहीं कर सकता।
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