सत्य खबर । गोहाना (सोनीपत)
बरोदा में जीत का बीड़ा उठाए चुनाव प्रचार कर रहे राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा को हलके के हर गांव में ज़बरदस्त जनसमर्थन मिल रहा है। आलम ये है कि गांवों में दीपेंद्र के कार्यक्रम, रोड शो और जनसभाएं जीत की गारंटी साबित हो रहे हैं। हर गांव में ढोल-नगाड़ों, ट्रैक्टर रैली और जनसैलाब के साथ दीपेंद्र का स्वागत किया जा रहा है।
इसी कड़ी में सोमवार को सांसद दीपेंद्र खानपुर खर्द, बनवासा खुर्द, कैहल्पा, और छापरा गांव में पहुंचे। यहां मौजूद लोगों का उत्साह देखकर उन्होंने बरोदा से कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल उर्फ भालू की रिकॉर्ड जीत का दावा किया।
इस मौक़े पर जनसभाओं को संबोधित करते हुए दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोगों को सरकार की किसान विरोधी नीतियों और मंसूबों के बारे में आगाह किया। उन्होंने कहा कि फिलहाल प्रदेश सरकार पर बरोदा चुनाव का दबाव है। बावजूद इसके आज मंडियों में किसानों की फसल बुरी तरह पिट रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के मुकाबले कई फसलों के दाम करीब आधे हो चुके हैं।
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पिछले साल के मुकाबले भी 500 से 1000 रुपये कम दाम पर किसानों को अपनी धान, कपास, बाजरा और मक्का बेचना पड़ रहा है। अंदाजा लगाइए कि तीन तारीख को वोटिंग के बाद किसानों की क्या हालत होगी। इसलिए बरोदा की जनता को इस बार सिर्फ एक विधायक बनाने के लिए नहीं बल्कि किसान विरोधी इस सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए वोट देना है।
सांसद दीपेंद्र ने कहा कि हम लगातार बीजेपी सरकार के किसान विरोधी कानूनों का विरोध कर रहे हैं। हमें जो डर था, आज वो सच साबित हो रहा है। तीन नए कानूनों ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। आज किसानों को निजी एजेंसियां लूट रही हैं और उनकी फसलों को औने-पौने दामों में ख़रीद रही हैं।
अन्न ही नहीं सब्ज़ी उत्पादक किसानों का भी यही हाल है। जिस टमाटर, प्याज व आलू का किसानों को 1-5 रुपया रेट भी नहीं मिल पाता, वो आज 80 से 100 रुपये किलो रेट पर बिक रहे हैं। मुनाफाखोर स्टॉक करके सब्जियों के रेट को बढ़ा रहे हैं। आम आदमी के लिए मुश्किल इसलिए और बड़ी है क्योंकि 3 नए कानूनों में एक इस लूट को छूट देने का भी है। अब कोई भी मुनाफाखोर किसान की फसल का कितना भी स्टॉक कर सकता है।
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये सरकार आम आदमी, किसान व मजदूर विरोधी है। कुरुक्षेत्र में सरकार ने किसानों को पीटा तो इससे पहले लॉकडाउन में मजदूरों को पीटा। इसलिए इसबार बरोदा का हर किसान और मजदूर सरकार की लाठियों की चोट का बदला, वोट की चोट से लेगा।
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