सत्य खबर, मेरठ। लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के केंद्र के फैसले का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विरोध शुरू हो गया है। यहां के खाप और जाट नेताओं ने केंद्र की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे अपराध बढ़ता है। दलील दी कि जब वोट देने, लाइसेंस हासिल करने और सरकारी नौकरी करने की उम्र 18 साल है तो फिर शादी की उम्र क्यों 21 साल कर दी गई।
खाप की 3 दलीलें
1. लड़कियों के साथ अपराध बढ़ जाएगा
गठवाला खाप थांबा बाहवड़ी के चौधरी श्याम सिंह ने कहा, “यह तो लड़कियों के साथ अपराध को बढ़ावा देना है। बालिग की जो उम्र है, उसके बाद शादी की उम्र में पाबंदी नहीं होनी चाहिए। जब परिवार किसी लड़की की शादी के बारे में सोचता है तो उसे सारी चीजें देखनी पड़ती हैं। शादी की उम्र 21 साल करना सही नहीं है। यह पाबंदी नहीं लगानी चाहिए। ”
2. निम्न-मध्यम वर्ग सोचता है लड़की की शादी जल्दी हो
राष्ट्रीय जाट महासभा यूपी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी रोहित जाखड़ ने कहा, “पता नहीं केंद्र सरकार की क्या मंशा है। वोट देने का अधिकार 18 साल है। ड्राइविंग लाइसेंस बनने की उम्र भी 18 साल है। आजकल कुछ लड़कियों की शादी के लिए वैसे ही उम्र 20 साल या 25 साल हो जाती है। निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग सोचता है कि लड़की की शादी जल्द ही की जाए। केंद्र सरकार का यह फैसला सही नहीं है। लड़की की आयु सीमा 18 साल ही सही है।”
3. शादी की उम्र पर फैसला खुद लड़कियां करें
जाट महासभा मेरठ के पूर्व अध्यक्ष चौधरी कल्याण सिंह ने कहा कि कुछ लड़कियां पढ़ाई करती हैं और अपना कॅरियर चुनती हैं। ऐसी लड़कियों काे शादी के निर्णय का अपना अधिकार है। लड़की 18 साल में बालिग हो जाती हैं, यह हाईकोर्ट भी मानता है। लोकतंत्र में 18 साल की लड़की को वोट देने का अधिकार है। शादी की उम्र में भी लड़कियों को यही अधिकार होना चाहिए।
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