सत्य खबर
हिसार : जिले में पराली जलाने का सिलसिला थम नहीं पा रहा। हवा लगातार जहरीली हाेती जा रही है। शनिवार काे एक्यूआई 422 पर जा पहुंचा। जाे बहुत ही गंभीर है। इस खतरनाक स्थिति को देखते हुए दिवाली पर्व पर पटाखे न जलाने का संकल्प ले आप भी हवा को और जहरीली होने से बचा सकते हैं। अधिक प्रदूषण के कारण अस्पतालों में सांस और अस्थमा के राेगी भी लगातार बढ़ रहे हैं। प्रतिदिन 30 से 40 मरीज उपचार कराने के लिए पहुंच रहे हैं।
इधर, शनिवार काे 10 स्थानाें पर आग की सूचना मिली। पराली जलाने पर एक किसान का चालान भी किया गया। कृषि उप निदेशक विनाेद फाैगाट ने किसानाें से पराली नहीं जलाने की भी अपील की है। शनिवार काे न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहा जबकि अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। आने वाले दिनाें में ठंड अधिक बढ़ने की संभावना है।
दूषित आबोहवा का हेल्थ पर कितना असर
- अच्छी : स्थिति अच्छी मानी जाती है। आबोहवा की वजह से स्वास्थ्य में किसी तरह का बुरा असर नहीं।
- संतोषजनक : सैंसटिव लोगों को सांस लेने में थोड़ी बहुत तकलीफ हो सकती है।
- मॉडरेट : अस्थमा, हार्ट डिसिज और फेफड़ों के संक्रमण की बीमारी से जूझ रहे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हाे सकती है।
- खराब : स्थिति बेहद खराब है। जिससे सांस की तकलीफ झेल रहे लोगों को लंबे समय तक दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
- बहुत खराब : यह बदतर स्थिति मानी जाती है। इसकी वजह से सांस संबंधी कई तरह की बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं।
- गंभीर : सेहतमंद लोगों के लिए भी खतरनाक।
नारनौंद में 100 एकड़ की पराली जली
नारनौंद के राजथल में खेत में शनिवार को एकत्र 100 एकड़ की पराली में आग लग गई। किसान ने कहा कि तारों में शॉर्ट सर्किट की वजह से पराली जली है।
लगातार बढ़ रहे सांस के राेगी
सिविल अस्पताल के फिजिशियन डॉ. अजय चुघ ने बताया कि पिछले कुछ दिनाें से सांस, दमा के मरीज बढ़े हैं। सूखी खांसी और सांस के मरीज पहले से ही हैं, उनकाे सांस लेने में दिक्कत आती है। इसके अलावा दमा, अस्थमा के मरीजाें काे भी परेशानी हाेती है।
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आंखों को गुनगुने पानी से धोएं
सिविल अस्पताल की डिप्टी सीएमओ डॉ. अनामिका बिश्नाेई के अनुसार प्रदूषित हवा और स्माॅग के कारण आंखाें पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। धुएं से आंख खराब हाेने का भी खतरा बना रहता है। दिन में कई बार गुनगुने पानी से आंखें धोनी चाहिए।
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