सत्यखबर
लोकायुक्त ने गुरुग्राम नगर निगम में 180 करोड़ रुपए के विज्ञापन घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश दिए हैं। एसआईटी में एक सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश और नगर निगम के दो सेवानिवृत्त सक्षम अधिकारियों को शामिल करने के लिए कहा है।
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निगम में विज्ञापन घोटाले की शिकायत अभय जैन ने वर्ष 2015 में लोकायुक्त से की थी। शिकायत में आरोप लगाया कि नगर निगम गुरुग्राम के खिलाफ बड़े मॉल संचालकों व बिल्डरों से विज्ञापन कर के रूप में 180 करोड़ रुपए की वसूली नहीं करने का आरोप लगाया था। हरियाणा के लोकायुक्त जस्टिस नवल किशोर अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा कि नगर निगम के अधिकारियों की विज्ञापन एजेंसियों के साथ 2010 से 2015 तक सैकड़ों करोड़ के गबन के लिए मिलीभगत साफ नजर आ रही है। उन्होंने इस विषय पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार ने लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों में अपना जाल फैला लिया है। यह निवेश और विकास की वृद्धि में एक बाधा है। लोकायुक्त ने आदेश दिया कि एसआईटी इस मामले की जांच करे। इसमें जो भी दोषी पाए जाते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वर्ष 2015 तक निगम के रिकार्ड के अनुसार डीएलएफ साइबर सिटी डेवलपर्स से 59 करोड़ 37 लाख, डीएलएफ ऑफिस डेवलपर 23 करोड़ 38 लाख, रेनकॉन पार्टनर्स, झंडेवालान एक्सटेंशन नई दिल्ली 23 करोड़ 62 लाख, विज्ञापन संचार प्राइवेट लिमिटेड 16 करोड़ 95 लाख, एंबिएंस मॉल 11 करोड़ 8 लाख डीएलएफ कमर्शियल एंटरप्राइजेज 8 करोड़ 97 लाख, डीएलएफ लिमिटेड गुरुग्राम 7 करोड़ 20 लाख, पैंटालून रिटेल लिमिटेड 3 करोड़, एनएसआर फार्म लिमिटेड 2 करोड़ 91 लाख, सहारा इंडिया कमर्शियल लिमिटेड 1 करोड़ 65 लाख का बकाया है।
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