सत्यखबर, दिल्ली
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे किसानों के ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ के एलान के बाद बीजेपी भी हरक़त में आ गई है। बीजेपी अब पूरे उत्तर प्रदेश में किसानों तक पहुंच बढ़ाने के लिए बैठकें करेगी। यह माना जा रहा है कि किसान आंदोलन से बीजेपी को उत्तर प्रदेश के चुनाव में सियासी नुक़सान हो सकता है और शायद इसीलिए पार्टी इस मोर्चे पर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। किसान 5 सितंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर में ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ को लेकर रणनीति को फ़ाइनल करेंगे। इस मिशन के तहत संयुक्त किसान मोर्चा के नेता पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जाएंगे और बीजेपी को वोट न देने की अपील करेंगे। ख़ैर, बीजेपी अब इसके जवाब में 16 से 23 अगस्त तक गन्ना किसानों की बहुलता वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनके बीच पहुंचेगी। बीजेपी का किसान मोर्चा किसानों के बीच बैठकें करेगा और उन्हें बताएगा कि योगी सरकार ने किसानों के लिए क्या काम किया है। बीजेपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच किसान चौपालों का भी आयोजन करेगी।
इसके बाद लखनऊ में 22 से 25 अगस्त तक विशाल किसान पंचायत का आयोजन किया जाएगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले किसान नेता राकेश टिकैत योगी सरकार पर गन्ने का भाव न बढ़ाने, सबसे महंगी बिजली होने, गन्ना किसानों का बकाया सहित किसानों की कई समस्याओं को लेकर हमला बोल रहे हैं। हाल ही में जब टिकैत ने कहा था कि लखनऊ को भी दिल्ली बनाया जाएगा तो इस पर बीजेपी ने कार्टून जारी कर पलटवार किया था। इस कार्टून में लिखा गया था कि संभल कर जइयो लखनऊ में, वहां योगी बैठा है। बीजेपी जानती है कि किसानों के विरोध के कारण पंचायत चुनाव में उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ख़ासा सियासी नुक़सान हुआ है। यहां वह एसपी-आरएलडी के गठबंधन व निर्दलीयों से भी पीछे रही थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा से लेकर मथुरा, आगरा, मेरठ, बाग़पत और बिजनौर, सहारनपुर तक हुई किसान महापंचायतों ने इस इलाक़े में बीजेपी की सियासी ज़मीन को हिला दिया है।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 120 सीटें हैं और इस इलाक़े में भारतीय किसान यूनियन खासी सक्रिय है। इस इलाक़े में बीजेपी के नेताओं का लगातार विरोध हो रहा है। दो दिन पहले ही मेरठ के सिवालखास विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के विधायक जितेंद्र सतवाई का किसानों और आरएलडी के कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध किया था। इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, मुज़फ्फरनगर के सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान सहित कई नेताओं को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा है। देखना होगा कि बीजेपी किस हद तक किसान आंदोलन से निपट पाती है। बीजेपी ने पन्ना प्रमुखों की बैठक शुरू कर दी है। पार्टी का कहना है कि संगठन को मजबूत करने के लिए मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को उनके इलाक़े में पन्ना प्रमुख बनाया जा सकता है।
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