सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
राजकीय कन्या स्कूल, डूमरखां के प्राचार्य किताब सिंह मोर ने बताया कि दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए 7 अप्रैल, 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की गई थी। आज के दौर में दुनिया के लोगों की लाइफ फास्ट हो चुकी है। जीवन में गुणवत्ता और विकास की ओर बढऩे का मतलब ये कतई नहीं हो सकता कि स्वास्थ्य से समझौता किया जाए। जैसा कि विश्व के अंदर आज हम देख रहे हैं कि कोरोना वायरस ने आज सारी दुनिया को थाम दिया है और हर इंसान ये मानने लगा है कि स्वास्थ्य पहले है और धन दौलत बाद में, क्योंकि यदि हम स्वस्थ ही नहीं रहेंगे, तो धन-दौलत किसी भी काम नहीं आएगी। इसलिए विश्व स्वास्थ्य दिवस पर मैं यह संदेश देना चाहूंगा कि यदि हम खुद स्वस्थ होंगे, तभी हम समाज व दुनिया को कुछ दे सकते हैं। यदि हमने कहीं दान देना भी है, तो वह केवल स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए दें। हम आभारी हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के, जिन्होंने देश को संकट की इस घड़ी में भारत को इस महामारी से बचाने के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, इटली जर्मनी, स्पेन जैसे विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। मेरा एक सुझाव यह भी है कि जिस तरह से आज लॉकडाउन में देश की महा नदियां गंगा, यमुना, कावेरी और देश का समस्त वातावरण शुद्ध हो गया है, इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा समस्त विश्व मे प्रत्येक महीने दो दिन लॉकडाउन करना चाहिए, ताकि विश्व के सभी प्राणियों का स्वास्थ्य ठीक रहे।
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